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त्रिपुरा बीजेपी हार के डर से आदिवासी ग्राम निकाय चुनाव में देरी कर रही है: टिपरा मोथा

अगस्त में एसईसी सचिव पी भट्टाचार्जी ने दिशानिर्देश जारी किए और कहा कि ग्राम समिति के चुनावों की तैयारी चल रही थी. इसके बाद सभी प्रखंड विकास अधिकारियों को विधानसभा मतदाता सूची की प्रतियां लेने को कहा गया.

त्रिपुरा के पूर्व शाही परिवार के प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व की पार्टी टिपरा मोथा (TIPRA MOTHA) ने बुधवार को राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शन किया और बीजेपी-आईपीएफटी (BJP-IPFT) सरकार पर स्वायत्त परिषद के तहत ग्राम समितियों के चुनाव में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया.

वैसे तो चुनाव लगभग डेढ़ साल पहले हो जाने चाहिए थे लेकिन कोरोनावायरस महामारी के कारण देरी हुई.

इस सिलसिले में MBB से बातचीत करते हुए टिपरा मोथा के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने कहा, “दो साल पहले पंचायत के चुनाव हो जाने चाहिए थे. विधान सभा उप चुनाव में सरकार को कोई दिक़्क़त नहीं आती है. लेकिन जब पंचायत के चुनाव की बात आती है तो सरकार पीछे हट जाती है.”

वो कहते हैं,”दरअसल बीजेपी जानती है कि ग्राम पंचायत के चुनावों में उसकी ज़बरदस्त हार निश्चित है. इसलिए उनकी सरकार चुनाव करवाने से डर रही है. क्योंकि वो जानते हैं कि विधान सभा चुनाव से पहले पंचायत चुनाव में हार अच्छा संकेत नहीं होगा.”

मोथा नेता सुरेश रियांग ने कहा कि त्रिपुरा हाईकोर्ट के नवंबर के पहले सप्ताह में चुनाव कराने के निर्देश के बावजूद सरकार हार के डर से चुनाव में देरी करने के लिए राज्य चुनाव आयोग (State Election Commission) का दुरुपयोग कर रही है.

आदिवासी परिषद राज्य के भौगोलिक क्षेत्र के 70 प्रतिशत तक फैली हुई है और लगभग सभी जिलों में फैला हुआ है. इन क्षेत्रों में 19 समुदायों से ताल्लुक रखने वाली जनजातीय आबादी का 30 प्रतिशत से अधिक का घर है और 587 ग्राम समितियों के माध्यम से प्रशासित किया जाता है.

मार्च 2021 के चुनावों को कोविड के कारण स्थगित कर दिए जाने के बाद, राज्यपाल की देखरेख में परिषद में एक प्रशासक नियुक्त किया गया था. परिषद के अध्यक्ष जगदीश देबबर्मा ने कहा कि चुनाव में देरी से आदिवासी जनजातियों के जीवन में मुश्किलें आ रही है.

इससे पहले, अगस्त में एसईसी सचिव पी भट्टाचार्जी ने दिशानिर्देश जारी किए और कहा कि ग्राम समिति के चुनावों की तैयारी चल रही थी. इसके बाद सभी प्रखंड विकास अधिकारियों को विधानसभा मतदाता सूची की प्रतियां लेने को कहा गया.

टिपरा मोथा के नेता ने प्रद्योत देबबर्मन ने कहा, “यह बीजेपी की रणनीति बन गई है. दिल्ली में यह पार्टी नगर निगम के चुनाव टाल देती है क्योंकि उसे वहाँ भी हार का डर दिखाई देता है. उसी तरह से मुंबई के नगर पालिका चुनाव भी समय पर नहीं कराये जा रहे हैं.”

MBB से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में उन्होंने चुनाव आयोग को कई बार पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि अब उनकी अगली रणनीति जन दबाव बना कर सरकार को चुनाव करवाने के लिए मजबूर करना होगा.

उन्होंने यह भी बताया कि 19 अक्टूबर को उनकी पार्टी के लोगों ने अलग अलग इलाक़ों में ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसरों को ज्ञापन दिया गया है. इससे पहले वहाँ पर प्रदर्शन आयोजित हुए थे.

MBB से बातचीत में उन्होंने सरकार पर हाईकोर्ट की अवमानना करने का आरोप भी लगाया है. उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि नवंबर के पहले सप्ताह में पंचायत चुनाव करवा दिए जाने चाहिएँ. लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए 5 नवंबर को एक बहुत बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा.

ग्राम समिति के चुनावों के लिए मतदाता सूची का संशोधन महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2016 में 7,68,561 मतदाता पिछले चुनावों के लिए पंजीकृत थे, जबकि पिछले साल आदिवासी परिषद चुनावों के लिए 8,65,041 मतदाताओं ने नामांकन किया था. मिजोरम के 21 हज़ार पुनर्वासित ब्रू प्रवासियों के साथ परिषद क्षेत्रों में मतदाता के रूप में नामांकित होने की प्रतीक्षा में, संशोधन और भी अधिक महत्व रखता है.

दरअसल, राज्य में बीजेपी की मुश्किलें कम होती नज़र नहीं आ रही है. क्योंकि अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन वाली सरकार के पांच विधायक दूसरी पार्टियों में चले गए हैं.

वहीं अब सत्तारूढ़ गठबंधन के पांच विधायकों के दूसरी पार्टियों में जाने के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य माणिक सरकार ने दावा किया कि 2018 में वाम मोर्चे की सरकार गिराने वाली भारतीय जनता पार्टी, नेताओं को अपने पाले में बरकरार रखने में नाकाम रही है.

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में अब स्थिति बदल गई है और भाजपा के तीन विधायक अलग-अलग दलों में शामिल हो गए हैं, जबकि इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के दो विधायक टिपरा मोथा में चले गए हैं.

भाजपा विधायक सुदीप रॉयबर्मन और आशीष साहा कांग्रेस में जबकि बरबू मोहन त्रिपुरा, और आईपीएफटी के धनंजय त्रिपुरा और बृषकेतु देबबर्मा टिपरा मोथा में शामिल हो गए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दलबदलू सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि वे भाजपा की कार्यशैली से निराश और बेहद नाखुश हैं. चुनाव से पहले यह सत्तारूढ़ दल के लिए एक बड़ा झटका है.

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