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राजस्थान में भारतीय ट्राइबल (BTP) पार्टी में टूट, दोनों विधायकों ने नई पार्टी बनाई

गुजरात और राजस्थान में दो दो विधायक जीतने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी राजनीति में अपनी जगह बना रही थी. लेकिन राजस्थान में उसके दोनों विधायक पार्टी छोड़ कर नई पार्टी बना रहे हैं. पार्टी के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है.

राजस्थान (Rajasthan news) की राजनीति में अपनी जगह बनाती भारीतय ट्राइबल पार्टी (BTP) की में टूट की खबर है. यह पार्टी दक्षिण राजस्थान में मजूबत हो रही थी. 

भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) राजस्थान की सत्ता में अहम योगदान देने वाले दक्षिणी राजस्थान (मेवाड़-वागड़) में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बन रही थी. 

राजस्थान में बीटीपी के दोनों ही विधायकों ने नई पार्टी ‘भारत आदिवासी पार्टी’ बनाने का ऐलान कर दिया है. खबरों के अनुसार निर्वाचन विभाग ने भी हरी झंडी दे दी है और जल्द ही इसका रजिस्ट्रेशन होने वाला है.

राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर व बांसवाड़ा में 15 सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. मेवाड़ में कुल 28 सीटें हैं, इस लिहाज से राजस्थान में यह इलाका और आदिवासी मतदाता अहमियत रखता है. 

2018 के विधान सभा चुनाव में बीटीपी ने दो सीटें जीतकर राजस्थान की सियासत में धमाके धार एंट्री की थी. इसके बाद बीटीप लगातार राजस्तान की राजनीति में अपनी अहमियत बढ़ा रही थी. 

हाल ही हुए छात्रसंघ चुनावों में प्रमुख कॉलेजों में बीटीपी के प्रत्याशी जीते हैं. विश्वविद्यालय स्तर पर भी प्रमुख पदों पर बीटीपी के प्रत्याशी विजयी रहे हैं. 

बीटीपी, बीएपी, भील खंड प्रदेश मोर्चा आदि अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो इसका बड़ा फायदा तो भाजपा या कांग्रेस पार्टी को मिल सकता है. वैसे आदिवासी इलाकों में लंबे समय से कांग्रेस के आदिवासी नेताओं का यहां जबरदस्त वर्चस्व है. 

यह भी संभावना है कि कांग्रेस पार्टी इनमें से किसी आदिवासी पार्टी या संगठन से समझौता भी कर ले. 

भारतीय ट्राइबल पार्टी में इस टूट की वजह पार्टी के नेता महेश भाई वसावा और दोनों विधायकों के बीच मतभेद बताई जाती है.

एक साल पहले जनजाति विधानसभा क्षेत्र धरियावद चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर बीटीपी के संगठन और विधायकों के बीच एक मत नहीं बनने के कारण विवाद हो गया था. 

पिछले दिनों 4 सितंबर को बीटीपी के प्रदेश सम्मेलन में दोनों विधायक राजकुमार रोत व रामप्रसाद डिंडोर नहीं पहुंचे. दोनों विधायक तब से राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश वसावा, प्रदेशाध्यक्ष डॉ. वेलाराम घोगरा से नाराज बताए जाते हैं. पार्टी विधायक राजकुमार रोत ने पार्टी पदाधिकारियों को बात नहीं सुनने का आरोप लगाया है.

 इस विवाद के बीच दोनों विधायकों को भारत आदिवासी पार्टी का नाम मिल गया है और उन्होंने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पार्टी के संस्थापक सदस्य कांतिलाल रोत का कहना है कि हम बीटीपी से अलग हैं और दोनों विधायक हमारे साथ हैं. 

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