2021-22 का शैक्षणिक वर्ष भले ही स्कूलों के खुलने के साथ शुरू हो गया हो, लेकिन आंध्र प्रदेश सरकार ने अभी तक कोया, कोंडा, सावरा, कुची, उड़िया सुगली और दूसरी कई आदिवासी भाषाओं के लिए शिक्षकों की नियुक्ति पर फ़ैसला नहीं लिया है.
पिछले शैक्षणिक वर्ष में 900 से ज्यादा स्कूलों में 800 से ज्यादा स्वयंसेवी आदिवासी शिक्षकों को प्रति माह 5,000 रुपए के वेतन पर नियुक्त किया गया था. लेकिन इस साल अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.
आदिवासियों का कहना है कि उनकी अपनी बोली में शिक्षा ज्यादा प्रभावशाली है. इसलिए वो चाहते हैं कि राज्य सरकार आदिवासी बोली के शिक्षकों की नियुक्ति पर तुरंत फैसला ले. नहीं तो उन्हें डर है कि आदिवासी बच्चों को बड़ा नुकसान होगा.
अकेले चिंटूरु आईटीडीए सीमा के भीतर 15 आदिवासी स्कूल हैं. पिछले साल, यहां 15 स्वयंसेवी आदिवासी बोली शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. पूर्वी गोदावरी जिले के कोया कहते हैं, उन्होंने इन 15 स्कूलों के छात्रों को उनकी अपनी बोली में पढ़ाया.
चिंटरु आईटीडीए परियोजना अधिकारी अकुला वेंकट रमना ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान को एक रिपोर्ट दी है, जिसमें आदिवासी स्कूलों में आदिवासी भाषा शिक्षकों की नियुक्ति की जरूरत बताई गई है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह काम जल्द होगा.
जनजातीय संगठनों का कहना है कि सरकार को आदिवासी लोगों की भाषा को मान्यता देनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों को उनकी अपनी बोली में पढ़ाया जाए. तभी बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ेगी.
उनका मानना है कि नहीं तो आदिवासी बच्चों में ड्रॉप-आउट रेट और बढ़ जाएगा.