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अमित शाह ने 2024 के चुनाव प्रचार की शुरुआत के लिए आदिवासी इलाक़े चाईबासा को क्यों चुना ?

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में ज़बरदस्त सफलता हासिल की थी. इस चुनाव में बीजेपी ने झारखंड की 14 सीटों में से 12 सीटें जीत ली थीं. लेकिन इस लहर में भी बीजेपी चईबासा और राजमहल में हार गई. 2019 के लोकसभा चुनाव को क़रीब 6 महीने बाद विधान सभा चुनाव हुए. इस चुनाव में राज्य की रघुबर दास सरकार चुनाव हार गई. यहाँ तक कि मुख्यमंत्री रघुबर दास अपनी सीट भी नहीं बचा सके थे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिला के चाईबासा के टाटा कॉलेज में एक जनसभा को संबोधित किया. 

उनके भाषण में देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्मु, आदिवासियों के लिए कल्याण योजनाएँ, बिरसा मुंडा जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस और बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासी लड़कियों को फँसा कर ज़मीन क़ब्ज़ा करना मुख्य बातें थीं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड में इस रैली से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के अभियान की विधिवत शुरुआत कर दी है. इस अभियान की शुरूआतें चाईबासा से ही क्यों की गई इसका भी कारण है. 

पश्चिमी सिंहभूमि ज़िला की चईबासा लोकसभा सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित 5 सीटों में से एक है. झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं. आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में चाईबासा के अलावा राजमहल, दुमका, लोहरदगा, और खुंटी हैं. 

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में ज़बरदस्त सफलता हासिल की थी. इस चुनाव में बीजेपी ने झारखंड की 14 सीटों में से 12 सीटें जीत ली थीं. लेकिन इस लहर में भी बीजेपी चईबासा और राजमहल में हार गई.

इसके अलावा आदिवासियों के लिए आरक्षित अन्य सीटों यानि दुमका, लोहरदगा और खुंटी में भी बीजेपी की जीत का अंतर मामूली ही था. जबकि राज्य की अन्य लोकसभा सीटों पर बीजेपी की जीत का अंतर काफ़ी बड़ा था.

2019 के लोकसभा चुनाव को क़रीब 6 महीने बाद विधान सभा चुनाव हुए. इस चुनाव में राज्य की रघुबर दास सरकार चुनाव हार गई. यहाँ तक कि मुख्यमंत्री रघुबर दास अपनी सीट भी नहीं बचा सके थे.

बीजेपी की सरकार की हार सुनिश्चित करने में आदिवासी इलाक़ों की बड़ी भूमिका रही थी. बीजेपी इस चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित कुल 28 सीटों में से सिर्फ़ दो पर ही जीत हासिल कर पाई थी. जबकि 2014 में बीजेपी ने आदिवासी आरक्षित सीटों में से 15 सीटें जीत ली थीं. 

झारखंड विधान सभा में कुल 81 सीट हैं. यानि बीजेपी ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव परिणामों की गहन समीक्षा की है. इसलिए अमित शाह ने अपनी पार्टी का चुनाव अभियान उस इलाक़े से शुरू किया है जहां उन्हें कमज़ोरी दिखाई दी है.

अमित शाह ने इस रैली में जिन मुद्दों को उठाया है उससे भी स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी आदिवासी इलाक़ों में एक ख़ास रणनीति बना कर उतर रही है. बीजेपी केंद्र सरकार की कल्याण योजनाओं के साथ साथ आदिवासी पहचान से जुड़े भावनात्मक मुद्दे बहुत ज़ोर शोर से उठा रही है.

गृहमंत्री अमित शाह ने स्थानीय टाटा कॉलेज मैदान में आयोजित विजय संकल्प रैली में हेमंत सरकार पर जोरदार हमला बोला. गृहमंत्री ने कहा कि कोल्हान में इतना खनिज दबा है, जिससे पूरे देश की गरीबी दूर की जा सकती है.

लेकिन राज्य की सत्ता पर ऐसी सरकार काबिज है जिसकी नीतियों के कारण खनिजों की लूट मची हुई है. उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार पर भाजपा शासन में शुरू हुए विकास कार्यों पर ब्रेक लगाते हुए राज्य को भ्रष्टाचारियों एवं दलालों के हवाले कर देने का आरोप लगाया. 

अमित शाह ने झारखंड में एक बड़े राजनीतिक मसले पर हेमंत सरकार की आलोचना की है. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा घोषित 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति को राज्य की आदिवासी जनता के साथ धोखा बताया.

उन्होंने कहा कि कोल्हान क्षेत्र में वर्ष 1964 में बंदोबस्ती हुई थी और राज्य सरकार 1932 के खतियान को आधार बना रही है. उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में पश्चिम सिंहभूम जिला और चाईबासा के लोगों को नौकरियां कैसे मिलेंगी. 

उन्होंने आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदिवासी विरोधी करार देते हुए झारखंडवासियों का राज्य की सत्ता बदलने के लिए आह्वान किया. 

उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता अब सब कुछ समझ रही है और राज्य के आदिवासी अपने साथ किये जा रहे छल के लिए उन्हें माफ नहीं करेंगे. 

उन्होंने कहा कि इस राज्य का मुख्यमंत्री तो जनजातियों का है मगर ये उन्हीं का विरोधी है. भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है. जबरन उनकी जमीन लूटी गई है. 

राज्य में घुसपैठिओं से रक्षा करने की जिम्मेदारी किनकी है उनकी है या नहीं, लेकिन अपनी वोट बैंक के लिए जो माता बहनों के साथ जो वो कर रहे हैं. जनता उन्हें माफ नहीं करेगी. 

इसका परिणाम उन्हें 2024 में देखने को मिल जाएगा. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राज्य में नौकरी के नाम पर युवाओं और खतियान के नाम पर आदिवासियों के साथ धोखा हुआ है.

अमित शाह ने इस जनसभा में कहा कि बीजेपी ने  एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया है. द्रौपदी मुर्मू जी आज देश की राष्ट्रपति है जो की पहली बार हुआ है जब किसी आदिवासी को ये पद दिया गया है. 

वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि हेमंत सरकार ने आदिवासियों की जमीन बेचने का काम किया है. सोरेन सरकार घुपैठियों के मध्यम से यहां के आदिवासियों के जमीन हड़पने का काम करवा रही है. 

अमित शाह ने झारखंड में जो कहा है वह बातें इस तरफ़ इशारा कर रही हैं कि बीजेपी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा जैसे राज्यों के विधान सभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव के लिए आदिवासी इलाक़ों पर फ़ोकस कर रही है.

इसके साथ ही यह भी स्पष्ट है कि पिछले एक साल में बीजेपी ने आदिवासी पहचान से जुड़े जिन भावनात्मक मुद्दों को तैयार किया है, उन्हें अब ज़ोर शोर से उछाला जाएगा.

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