जनजातीय मामलों के मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) सहित एक गैर सरकारी संगठन (Non Government Organization) की ताज़ा स्टडी में यह बताया गया है कि केरल के तिरूवनंतपुरम ज़िले में आदिवासियों की जनसंख्या घटी (Declining population of Tribal people) है.
स्टडी (Study on Kerala tribals) के अनुसार 2011 की जनसंख्या की तुलना में 2023 में आदिवासियों की जनसंख्या में कम से कम 29 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
2001 की जनगणना के अनुसार ज़िले में 20,893 आदिवासी रहे रहें थे. जिसके बाद 2011 में इनकी जनसंख्या बड़ कर 26,759 हो गई.
लेकिन स्टडी के मुताबिक 2023 में आदिवासियों की जनसंख्या घटकर 19,035 हो गई है.
जनजाति मामलों के मंत्रालय ने अपनी यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है. मंत्रालय ने यह फैसला किया है की वह इस घटती जनसंख्या के कारण को ज्ञात करने के लिए एक और स्टडी करवाएंगे.
इस स्टडी में दावा किया है की ज़िले के आदिवासी योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने एक लाख रूपये का खर्चा किया है.
इस ज़िले में मुख्य रूप से कनिक्कर आदिवासी (Kanikkar tribes) निवास करते है. यह आदिवासी ज़िले के वितुरा, एरिप्पा, कोट्टूर, अगस्त्यकोडम में रहते हैं.
केरल विश्वविद्यालय के प्रमुख समाजशास्त्र और प्रोफेसर, आर. एस. संध्या ने कहा की ज़िले में आदिवासी की घटती आबादी के कई कारण हो सकते है. जिनमें इंटरकास्ट शादी भी एक कारण हो सकता है. हमने सरकार से आग्रह किया है की वह घटती जनसंख्या के कारणों को जानने के लिए एक और स्टडी करवाए.
उन्होनें यह भी कहा की ज़िले में चाहे आदिवासियों की जनसंख्या घटी है. लेकिन राज्य में आदिवासियों की जनसंख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
2001 में राज्य में 3,64,189 आदिवासी निवास कर रहे थे. 2011 में 4,84,839 और 2023 में 4,88,259 आदिवासी राज्य में रहे रहें है.
हालांकि इन आंकड़ो को अगर ध्यान से देखे तो यह पाता चलता है की राज्य में रहने वाले आदिवासी जनसंख्या में महज़ 3,420 की बढ़ोतरी ही हुई है.
ये भी बात ध्यान देने वाली है की तिरूवनंतपुरम ज़िले के आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने काल्याणकारी योजनाओं में सिर्फ 1 लाख रुपये ही खर्च किए है. जो आदिवासी विकास कार्यो के लिए पर्याप्त नही होगा.