HomeElections 2024ओ. आर केलु केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बनेंगे

ओ. आर केलु केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बनेंगे

वायनाड को पहली बार राज्य कैबिनेट में प्रतिनिधित्व, ओ आर केलु लेंगे राधाकृष्णन का स्थान.

केरल राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कल्याण मंत्री के पद के लिए मानंतवाडी क्षेत्र से विधायक ओ. आर केलु का नाम चुना गया है.

इससे पहले इस पद का कार्यभार राधाकृष्णन संभाल रहे थे. लेकिन केरल की अलाथूर लोकसभा से चुनाव जीतने के बाद अब राधाकृष्णन सांसद बन गए हैं.

केलू वायनाड जिले से सीपीएम के पहले मंत्री होंगे तो राज्य में अनुसूचित जनजाति समुदाय से मंत्री बनने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे.

इससे पहले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फंड (United Democratic Fund) की पीके जयलक्ष्मी भी मंत्री रह चुकी हैं. जिस जनजाती से ये दोनों ताल्लुक रखते हैं, वह कुरिचिया जनजाति वायनाड जिले की सबसे विकसित जनजातियों में से एक मानी जाती है.

केलू ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जयलक्ष्मी को हराकर मानंतवाडी निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2021 में भी वे अपनी सीट को बचाने में सफल रहे और अब उन्हें अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग का विकास और कल्याण मंत्री बनाने का फैसला लिया गया है.

इसके साथ ही वायनाड को पहली बार राज्य कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिलेगा. पिनाराई विजयन की पिछली सरकार में भी वायनाड से कोई मंत्री कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन पाया था.

केलू सीपीएम राज्य समिति में भी शामिल हैं और आदिवासी कल्याण समिति में भी काफी सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं.

वो केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य हैं.

इसके अलावा केलू पांच साल तक तिरुनेल्ली ग्राम पंचायत के सदस्य, 10 साल तक तिरुनेल्ली ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और 2 साल तक मानंतवाडी ब्लॉक पंचायत के सदस्य भी रहे हैं. हाल ही में उन्हें जिला सचिवालय सदस्य के रूप में भी चुना गया था.

उनकी योग्यता को देखते हुए पहले से ही उन्हें ये पद सौंपने पर विचार किया जा रहा था.

राधाकृष्णन का राज्य मंत्री के रूप में आखिरी दिन

केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के कल्याण मंत्री के तौर पर बिताए आखिरी दिन राधाकृष्ण ने आधिकारिक रिकॉर्ड से ‘कॉलोनी’ शब्द को खत्म करने का ऐतिहासिक कदम लिया.

उन्होंने कहा कि कॉलोनी’ शब्द गुलामी से जुड़ा है और उत्पीड़कों द्वारा बनाया गया था. यह लोगों में हीनता की भावना पैदा करता है. क्षेत्र के निवासी कोई दूसरा नाम सुझा सकते हैं. निवासियों द्वारा सुझाए गए सामान्य नामों को प्राथमिकता दी जाएगी.

किसी व्यक्ति के नाम का उपयोग विवाद का कारण बन सकता है, इसलिए ऐसे नाम नहीं रखे जाएंगे. हालांकि, जिन स्थानों का नाम पहले से ही व्यक्तियों के नाम पर रखा गया है, उनका नाम वही रहेगा.

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति विकास विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि जिन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियाँ मुख्य रूप से निवास करती हैं, उन्हें वर्तमान में “कॉलोनी”, “संकेतम” और “ऊरू” कहा जाता है. ये नाम अनादर का कारण बनते हैं. इसलिए ऐसे नामों का उपयोग किया जाना चाहिए जिन्हें समाज खुशी से स्वीकार करे.

आदेश में आगे कहा गया है कि “कॉलोनी”, “संकेतम” और “ऊरू” जैसे नामों का नाम बदलकर “नगर”, “उन्नाथी”, “प्रकृति” या इन क्षेत्रों के स्थानीय निवासियों द्वारा चुना गया कोई भी नाम दिया जा सकता है.

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