मध्यप्रदेश (Tribes of Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) ने यह फैसला किया है कि आदिवासियों के खिलाफ लगभग 8 हज़ार वन अपराधिक मामलों (Forest Criminal Cases) को वापस लिया जाएगा.
इसकी जानकारी वन विभाग के सभी डीएफओ को भेज दी गई है. इस फैसले को काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि मध्यप्रदेश देश का वो राज्य है, जहां सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी रहती है.
2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 1 करोड़ आदिवासी रहते हैं. यह राज्य की कुल जनसंख्या का 21.1 प्रतिशत है.
इस फैसले को लागू करने की योजना की जानकारी ज़िला वन अधिकारी (DFO) दे दी गई है. इस योजना के अनुसार वन अधिनियम 1927 और वन्य प्राणी (संरक्षण अधिनियम 1972) के तहत आदिवासियों के खिलाफ कई मामले दर्ज हुए हैं.
इन सभी दर्ज मामलो को अब सरकार वापस लेने वाली है.
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आदिवासियों के खिलाफ 7 हज़ार 902 वन अपराध मामले दर्ज हैं.
इनमें से 3470 वन विभाग के पास लंबित है और 4 हजार 432 मामले न्यायालय में लंबित है.
इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार अदालत में लंबित वन अपराधिक मामलों से जल्द निपटने के लिए वकीलों के ज़रिए भी सरकार की तरफ से कदम उठाया जाएगा.
राज्य के कई ज़िले में अवैध तरीके से भूमि कब्जा, अवैध कटाई और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मारपीट जैसे कई मामले आदिवासियों के खिलाफ दर्ज किए गए थे.
राज्य के ग्रामीण इलाकों में कई बार आदिवासी और वन विभाग के बीच संघंर्ष देखने को मिला है. राज्य सरकार ने अपने इस फैसले को लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है.
मध्यप्रदेश से पहले ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आदिवासियों के खिलाफ 48,000 दर्ज मामलों को वापस लेने आदेश दिया था.
इन 48,000 मामलों में आबकारी विभाग के 36,581, गृह मंत्रालय के 9846 और वन और पर्यायवरण विभाग के 1591 मामले शामिल थे.