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मध्य प्रदेश: आदिवासियों के विरोध के बावजूद चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र के निर्माण पर सरकार अडिग है

मंडला के कई गांव के आदिवासी चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र (Chutka Nuclear Power Plant) के लिए अपनी ज़मीन नहीं देना चाहते हैं. लेकिन संसद में दी गई जानकारी के अनुसार सरकार इस परियोजना को कायम करने पर अडिग है.

(Madhya Pradesh News) मध्य प्रदेश के मंडला ज़िले के चुटका गांव के पास प्रस्तावित 1400 मेगावाट परमाणु विद्युत संयंत्र (Chutka Nuclear Power Plant) का काम योजना के अनुसार चल रहा है. संसद में यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यालय ने दी है.

इस प्रस्तावित परियोजना में प्रभावित होने वाले गांवों में से कई गांव के आदिवासी चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र का विरोध कर रहे हैं. 

प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार चुटका परियोजना के लिए ज़मीन को एनपीसीआईएल (NPCIL) के नाम चढ़ा दिया गया है. 

इस परियोजना के लिए एनपीसीआईएल (NPCIL) ने ज़मीन की कीमत और पुनर्वास के लिए पैसा जमा करा दिया है. यह पैसा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर पर जमा किया गया है. यह दावा भी किया गया है कि निजी भूमि के भूस्वामियों को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया है.

सरकार का कहना है कि जो लोग इस परियोजना में विस्थापित होंगे उनके पुनर्वास के लिए एक बस्ती का निर्माण भी किया जा चुका है. इस परियोजना के बारे में तकनीकि जानकारी उपलब्ध कराते हुए बताया गया है कि इस परमाणु विद्युत संयंत्र के लिए 10 शीघ्रगामी मोड रिएक्टरों (Fleet mode reactors ) की ख़रीद की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है.

इस परमाणु विद्युत संयंत्र की अनुमानित कीमत 21000 करोड़ रूपए बताई गई है. इस परियोजना के लिए 708.19 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण किया गया है.

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इस परियोजना की वजह से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की आशंका और कान्हा अभ्यारण्य (Kanha Tiger Reserve Forest) से जुड़ी चिंताओं को सरकार ने खारिज किया है. सरकार का कहना है कि जिस स्थान पर यह संयंत्र प्रस्तावित है वहा से कान्हा नेशनल पार्क कम से कम 50 किलोमीटर दूर है.

चुटका पॉवर प्लांट पर देखिये यह ग्राउंड रिपोर्ट

लेकिन इस प्रस्तावित परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए सरकार ने यह माना है कि अभी तक सरकार को इस संयंत्र के लिए ज़मीन का कब्ज़ा नहीं मिला है. इसका कारण बताते हुए सरकार ने कहा है कि प्रभावित गांवों के लोगों को अभी तक नई जगह यानि पुनर्वास बस्ती में नहीं बसाया जा सका है.

दरअसल चुटका परियोजना का आदिवासी विरोध कर रहे हैं. यहां के आदिवासियों का कहना है कि इस परियोजना से जुड़े ख़तरों के नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है.

इसके अलावा आदिवासियों का यह भी कहना है कि अगर उनकी ज़मीन इस परियोजना के लिए ले ली जाएगी तो उनकी जीविका बुरी तरह से प्रभावित होगी.

चुटका परियोजना नर्मदा नदी पर बने बांधों के डूब क्षेत्र में प्रस्तावित है. यहां के आदिवासियों का कहना है कि वे नर्मदा पर बने बाँधो की वजह से पहले भी अपनी ज़मीन से हाथ धो चुके हैं.

अब एक बार फिर उन्हें ज़मीन छोड़ने के लिए कहा जा रहा है. यहां पर आदिवासियों ने यह भी बताया कि ज़मीन का मुआवज़ा किसानों की बिना सहमति के जबरन उनके खातों में जमा कर दिया गया है.

इस परियोजना के विरोध में करीब 6 महीने पहले आदिवासियों ने एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया था. 

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