ओड़िशा के 8 ज़िलों में आदिवासी बस्तियों और गाँवों में पीने का साफ़ पानी देने की योजना को जनजातीय मंत्रालय ने स्वीकार किया है. यह योजना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme) के सहयोग से दूर दराज़ के आदिवासी समुदायों की पीने के साफ़ पानी की ज़रूरत को पूरा करने के लिए बनाई गई है.
इस योजना के तहत इन आदिवासी इलाक़ों में पूरे साल बहने वाले झरनों के पानी को इस्तेमाल किया जाएगा.
इस योजना के तहत ओड़िशा के अंजाम, गजपति, जाजपुर, कालाहांडी, कंधमाल, क्योंझार, मयूरगंज और रायगढ़ में 77 गाँव और बस्तियों को चुना गया है. इन ज़िलों के 408 झरनों का आकलन और मैपिंग की गई है.
इस योजना के तहत इन झरनों के बहने की स्थिति, पानी की गुणवत्ता, पानी की मात्रा का पता लगाया जाएगा. इसके साथ ही इन झरनों के पानी में कैमिकल और बायोलॉजिकल प्रॉपर्टीज़ की जाँच भी की जाएगी.
इस योजना के तहत इन झरनों के संरक्षण और प्रबंधन में आदिवासी समुदाय को शामिल किया जाएगा. इस योजना को मनरेगा से भी जोड़ा जा रहा है. इस तरह से आदिवासी समुदाय को ना सिर्फ़ पीने लायक़ पानी मिल पाएगा, बल्कि यहाँ के आदिवासी समुदाय को रोज़गार भी दिया जा सकेगा.
देश के आदिवासी इलाक़ों में नदियों और झरनों की भरमार है. लेकिन इसके बावजूद अभी तक देश के आदिवासी इलाक़ों में पीने का साफ़ पानी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है.
सरकार का कहना है कि इस चुनौती से निपटने के लिए ही स्थानीय झरनों की मैपिंग कर साफ़ पीने का पानी उपलब्ध कराने की कोशिश के तहत यह योजना बनाई गई है.
8 फ़रवरी को लोकसभा में यह जानकारी जनजातीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री रेणुका सरूता ने दी है. उन्होंने अपने उत्तर में कहा कि दूर दराज़ के आदिवासी इलाक़ों के गाँवों और बस्तियों में पीने का साफ़ पानी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने 1000 स्प्रिंग नाम से योजना बनाई है.
उस योजना के तहत स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल करके आदिवासी समुदायों को पीने का पानी उपलब्ध कराने की योजना है. हालाँकि इस उत्तर में मंत्रालय की तरफ़ से इस योजना के लागू हो जाने की कोई तारीख़ या साल नहीं बताया है.