छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में 19 मार्च शुक्रवार को कई गाँव के आदिवासियों ने मिल कर अपनी माँगो के लिए एक रैली निकाली. ज़िले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक में इस रैली का आयोजन किया गया था. इस रैली में महिलाओं की तादाद भी काफ़ी अच्छी थी.
इन आदिवासियों ने माँग की है कि जंगल से मिलने उत्पादों की न्यूनतम मूल्य पर ख़रीद की उचित व्यवस्था की जाए. इसके साथ ही इन आदिवासियों ने जंगल से मिलने वाले लघु उत्पादों के समर्थन मूल्य बढ़ाए जाने की माँग भी की है.
इस प्रदर्शन में शामिल आदिवासियों का कहना है कि अब महुआ का मौसम आ रहा है. आदिवासी जंगल से महुआ के फूल जमा करेंगे. इसलिए महुआ की ख़रीद के लिए उचित मूल्य दिए जाने का इंतज़ाम किया जाना चाहिए.

महुआ के अलावा भी जंगल से मिलने वाले दूसरे उत्पादों के लिए आदिवासियों ने समर्थन मूल्य बढ़ाने और ख़रीदी के इंतज़ाम करने की माँग की है.
आदिवासियों ने माँग की है कि जंगल से मिलने वाले तेंदू पत्ते का दाम 500 रूपये सैंकड़ा किया जाए. इसके साथ ही इसका नक़द भुगतान भी होना चाहिए. इस रैली में परलकोट के गाँवों में सही समय से बिजली देने की माँग भी की गई है.
प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी भेजा है.

उधर छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि जंगल से मिलने वाले उत्पादों के मामले में उसका रिकॉर्ड सबसे अच्छा है. सरकार का कहना है कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान भी देश भर में एसएसपी पर वनोत्पादों की ख़रीद सबसे अधिक की गई थी.
कोविड महामारी के दौरान राज्य में 120 करोड़ रूपये के जंगली उत्पादों की ख़रीद की गई थी.
देश भर में इस दौरान की गई कुल ख़रीद का यह 75 प्रतिशत था. राज्य सरकार ने दावा किया है राज्य में ऐसे इंतज़ाम किए गए हैं कि आदिवासियों को ना सिर्फ़ उचित दाम मिलें, बल्कि उन्हें बिचौलियों से भी बचाया जा सके.