तमिलनाडु के कांचीपुरम ज़िले की नारियमपुदूर बस्ती के इरुला आदिवासियों के लिए मंगलवार का दिन ख़ास रहा. कांचीपुरम की कलेक्टर एम. आरती ने जब उन्हें उनके नाम के पट्टे सौंपे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
अधिकारियों के एक समूह ने अचानक गाँव पहुंचकर आदिवासियों को बताया कि उन्हें पक्के मकान दिए जाएंगे. ज़ाहिर है दशकों से कच्चे घरों में रहने वाले इन इरुला आदिवासियों के लिए यह भावुक लम्हा था.
मकानों का निर्माण
बस्ती के निवासियों को अब पास की एक ज़मान पर शिफ्ट कर दिया गया है ताकि स्लम क्लीयरेंस बोर्ड उनके लिए अलग-अलग घरों का निर्माण कर सके. उसके लिए आधारशिला रख दी गई है.
कलेक्टर ने मीडिया को बताया कि ज़िला प्रशासन कांचीपुरम में मौजूद सभी इरुला बस्तियों का सर्वेक्षण करेगा, और एक व्यापक कार्यक्रम तैयार कर उन्हें आवास और आजीविका सहायता प्रदान की जाएगी.
घरों के साथ इन आदिवासियों को उनके मवेशियों और बकरियों के लिए शेड या कलम भी दी जाएगी. इसके अलावा यह आदिवासी अपने बच्चों के लिए शिक्षा सहित कोई भी सहायता मांग सकते हैं.
मकान बनाने के लिए धनराशि स्लम क्लीयरेंस बोर्ड द्वारा जारी की जा रही है, और निर्माण डीआरडीए द्वारा किया जाएगा. मॉनसून से पहले काम पूरा करने का लक्ष्य है.
कुछ दिन पहले इन आदिवासियों की दुर्दशा पर रिपोर्ट मीडिया में छपने के बाद, कई लोग इनकी मदद के लिए आगे आए थे.
एक एनजीओ ने उनके लिए इको-शौचालय बनाने का ऑफ़र किया, तो किलपौक मेडिकल कॉलेज के पुराने छात्रों के एक समूह ने बच्चों की शिक्षा में मदद करने का वादा किया है. इसके अलावा बस्ती के निवासियों को ज़रूरत का सामान भी पहुंचाया गया है.