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महाराष्ट्र: आदिवासी बहुल नंदुरबार के तीन गांवों में 45+ का कोविड वैक्सिनेशन पूरा

राज्य के पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्र में आने वाले सिंध गव्हान, पुरुषोत्तमनगर और सगली गांवों में स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयासों से शत-प्रतिशत वैक्सिनेशन संभव हो पाया है.

महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल नंदुरबार ज़िले के तीन गांवों में 45 साल से ज़्यादा उम्र के सभी लोगों को ककोवि वैक्सीन लगा दिया गया है. ज़िला प्रशासन ने वैक्सिनेशन से जुड़ी ग़लतफ़हमियों और अफ़वाहों को दूर कर ज़िले में यह रिकॉर्ड हासिल किया है.  

राज्य के पिछड़े और आदिवासी बहुल क्षेत्र में आने वाले सिंध गव्हान, पुरुषोत्तमनगर और सगली गांवों में स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयासों से शत-प्रतिशत वैक्सिनेशन संभव हो पाया है.

आदिवासी बहुल नंदुरबार के लोगों में शुरुआत में वैक्सिनेशन को लेकर थोड़ी झिझक थी, क्योंकि वो मानते थे कि इससे कोविड-19 हो सकता है, और लोग वैक्सीन के साइन एफ़ेक्ट से मर जाएंगे. इन सभी ग़लतफ़हमियों को दूर करने के लिए एक बहु-स्तरीय जन जागरुकता अभियान चलाया गया, जिसको काफ़ी सफ़लता मिली है.

ज़िला परिषद के एडिशनल सीईओ शेखर रौदल, ज़िला कलेक्टर, यहां के एमपी, एमएलसी और कई वरिष्ठ नेताओं ने इन गांवों का दौरा किया और लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरु किया.

आदिवासी भाषाओं में रिकॉर्ड किए गए ऑडियो क्लिप, जो वैक्सिनेशन के बारे में सभी मिथकों को ग़लत साबित करते हैं, प्रसारित किए गए. संदेश को घर-घर तक पहुंचाने के लिए गांव के बुज़ुर्गों को अभियान में शामिल किया गया.

इन तीन गांवों के अलावा कुछ गावों में कोविड वैक्सिनेशन की संख्या 80 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि बाकि बचे 30 से 40 गांवों में यह दर अभी 50 प्रतिशत से ज़्यादा है.

शाहदा तालुक के पुरुषोत्तमनगर गांव ने ज़िले में सबसे पहले 45 साल से ऊपर के आयु वर्ग का 100 प्रतिशत वैक्सिनेशन पूरा किया. सिंधगव्हान गांव में 45 साल से ऊपर के कुल 431 लोगों को वैक्सीन लगाया गया है.

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