HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: सरकार की योजनाओं से हटा परदा, पानी को तरसता आदिवासी

आंध्र प्रदेश: सरकार की योजनाओं से हटा परदा, पानी को तरसता आदिवासी

यह अपने आप में कमाल की बात है कि बिजली का इंतज़ाम नहीं था और प्रशासन ने गांव मे मोटर और पाईप भेज दिये थे. अब गांव के लोगों के लिए कुआँ खोदा जा रहा है.

अल्लूरी सीतारामा राजू ज़िले (Alluri Sitarama Raju District) के रचाकीलम बस्ती (Tribes of Andhra Pradesh) में आदिवासी पीने के पानी के महोताज (Basic needs of tribals) है. ये आदिवासी हर दिन पानी के लिए (Lack of Water facilities) कई किलोमीटर तक पैदल चलते हैं.

इस बस्ती में खाली बर्तनों से स्वागत कर आदिवासियों ने नेताओं के सामने विरोध प्रदर्शन किया.

2022 में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत इस गाँव में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 11 लाख रुपए आवंटित किए गए थे.

इसी संदर्भ में गाँव के निवासी ने बताया की हमारे गाँव में एक मोटर, चार पाइपलाइन के बंडल और प्लास्टिक की पानी की टंकियां मौजूद हैं. लेकिन इनमें पानी नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, “ हमने सुना है की हमारे गाँव के लिए 15 लाख रूपये की राशि दी गई थी. लेकिन फिर भी हमे पानी नसीब नहीं हो रहा है.”

इस गाँव में लगभग 230 आदिवासी परिवार बिना किसी मूलभूत सुविधाओं के रहे रहें है. यह आदिवासी बस्ती अनाकापल्ली ज़िले से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

इस मामले से जुड़े इंजीनियर लीला कृष्णा बताते है की 2022 में जल जीवन मिशन के तहत गाँव के लिए 11 लाख आवंटित किए गए थे.

गाँव के लोगों ने एक मोटर, चार पाइपलाइन के बंडल और पानी की टंकी को पहाड़ तक पहुंचाया था. लेकिन इसके बाद कोई काम नहीं किया गया और यह सारा सामान गाँव में अभी भी मौजूद है.

एक अन्य गाँववासी ने बताया की हम जो पानी कई किलोमीटर तक चलकर लाते है. वे पानी हमे  बीमार कर सकता है.

उन्होंने आगे बताया की बीमार व्यक्ति को ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस तक नहीं आती क्योंकि यहां कोई पक्की सड़क नही बनी है.

इसलिए मजबूरन गाँववासी ही बीमार या गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाते है. जिसमें एक या दो दिन का समय लगता है.

वहीं इस विषय में प्रशासन के जल विभाग का कहना है की ग्रेविटी समस्या की वज़ह से यहां पानी नहीं पहुंचाया जा सकता है. जिसके बाद विभाग द्वारा यह फैसला लिया गया था की गाँव से करीब 600 मीटर की दूरी पर कुआं खोदा जाए.

लेकिन उसके लिए पानी विभाग को बिजली की जरूरत थी लेकिन गांव में बिजली मौजूद ही नहीं है.

जल विभाग के अधिकारी ने आश्वासन दिया की वे जल्द से जल्द गाँव में पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवा देंगे.

इस आदिवासी बस्ती के लोगों ने चुनाव के माहौल में नेताओं के सामने प्रदर्शन कर कम से कम अपनी समस्या की तरफ प्रशासन का ध्यान खींचने में कामयाबी हासिल की है.

उम्मीद है कि अब चुनाव से पहले उनके गाँव में पानी का इंतज़ाम हो जाए.

इस गांव में पानी की सप्लाई का मामला प्रशासनिक समझदारी पर भी सवाल उठाती है. यहां पर बिजली नहीं है लेकिन प्रशासन ने मोटर और पाईप पर पैसे ख़र्च कर दिये.

अब गांव वालों के लिए कुआँ खोदा जा रहा है.

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