आंध्र प्रदेश (Tribes of Andhra Pradesh) के चीमालापाडु पंचायत ( Cheemalapadu Panchayat) में 15 गाँव है. इनमें से 11 आदिवासी गाँव में 532 मतदाता हैं.
यहां ज्यादातर परिवार कोंडा दोरा आदिवासी समुदाय से हैं. गाँव के लोग पहले से ही सड़क, स्वच्छ पानी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी कई मूलभूत सुविधाओं (Basic facilities) से वंचित हैं.
अब गांव वालों के सामने एक और चुनौती है. उन सभी को वोट देने के लिए (Lok Sabha election 2024) 11 से 15 किलोमीटर दूर पोलिंग बूथ जाना होगा.
यहां के गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि गाँव के आस-पास ही एक स्कूल मौजूद है.
गाँव के लोगों का यह दावा है कि स्कूल में वे सभी सुविधाएं मौजूद है, जो पोलिंग बुथ बनाने के लिए आवश्यक होती है. यह स्कूल जोगमपेटा नाम की बस्ती में स्थित है.
इन 11 गाँव में से एक रायपाडु गाँव भी है. रायपाडु के एक निवासी ने बताया कि वोट देने के लिए उन्हें 13 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ेगा.
उन्होंने आगे कहा कि 13 किलोमीटर रास्ते को पार करने के लिए वह एक ऑटो भी नहीं ले सकते. क्योंकि रास्ते की स्थिति इतनी ख़राब है कि ऑटों चलना यहां नामुमकिन है.
एक और गांव अजयपुरम भी इन 11 आदिवासी गाँव में शामिल हैं. इस गाँव में 200 कोंड दोरा आदिवासी रहते हैं. इनमें से 60 लोगों का नाम मतदाता सूचि में शामिल है.
इन सभी को वोट देने के लिए 11 किलोमीटर का लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा. जबकि गाँव से एक किलोमीटर की दूरी पर एक स्कूल मौजूद है.
इस गाँव में रहने वाले पांगी विजय कुमार बताते है कि उनके गाँव की सबसे बड़ी परेशानी कच्चे रास्ते हैं. यह बात सही है कि स्कूल तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है. लेकिन बाकि जगह पत्थर और धूल मिट्टी से भरे रास्ते ही है.
उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल को पोलिंग बुथ बनाने से सिर्फ हमें ही फायदा नहीं होगा, बल्कि अन्य गाँव के लोगों के लिए भी यह सुविधाजनक होगा.
इस गांव के हालात के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि गाँव में जल जीवन मिशन के तहत बोरवेल और वॉटर टैंक तो लगा दिए गए है, लेकिन इनमें एक बूंद पानी भी नहीं आता.
अजयपुरम गाँव में रहने वाले आदिवासी काजू के बागानों में काम करते हैं. लेकिन इस साल उत्पादों में कमी के कारण इनकी आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है.
रायापाडु गाँव की स्थिति अजयपुरम जैसी ही है. रायापाडु में रहने वाले लोग सड़क का अभाव, स्वच्छ पानी की कमी, आधार कार्ड ना मिलना, राशन और सराकार के अन्य सुविधाओं में देरी के कारण परेशान हैं.
इस गाँव के लोगों ने बताय कि उनके गाँव में पांच बार सर्वेक्षण किया जा चुका है. लेकिन अभी तक सिर्फ 15 लोगों को ही भूमि पट्टा प्राप्त हुआ है.
इस गाँव में रहने वाले लोगों को राशन के लिए भी लंबा इंतज़ार करना पड़ता है. यहां के लोगों ने बताया कि उन्हें राशन के लिए भी पैदल कई किलोमीटर का रास्ता नापना पड़ता है.
यह राशन भी एक बारी में नहीं मिलता. कई बारे उन्हें तीन-तीन बार राशन लेने जाना पड़ता है. लोकतंत्र में यह कहा जाता है कि एक एक वोट कीमती होता है. लेकिन लगता है कि वंचित और कम जनसंख्या वाले समुदायों पर यह बात पूरी तरह से लागू नहीं होती