HomeAdivasi Dailyअट्टपाड़ी में आदिवासियों से जुड़े कई अहम मुद्दे अनसुलझे हैं

अट्टपाड़ी में आदिवासियों से जुड़े कई अहम मुद्दे अनसुलझे हैं

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन अगले सप्ताह अट्टपाड़ी का दौरा करेंगे और आदिवासी लोगों की समस्याओं से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करेंगे.

मंत्री, शीर्ष सरकारी अधिकारी, विधायक और दूसरे लोग आदिवासी शिशुओं की लगातार हो रही मौतों के मद्देनजर अट्टपाड़ी की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि इस क्षेत्र में अंतर्निहित समस्याओं को हल करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई करने में विफलता रही है.

वे कहते हैं कि आदिवासी बच्चों के पोषण की भयावह स्थिति, आदिवासियों में बेरोजगारी और जनजातीय भूमि के प्रमुख क्षेत्रों का अलगाव, जिसमें महत्वपूर्ण हस्तक्षेप की आवश्यकता है अभी भी अनसुलझा है.

अट्टपाड़ी प्रोटेक्शन समिति के एम सुकुमारन ने कहा, “सरकार कोत्ताथारा ट्राइबल स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और उसके कुछ डॉक्टरों पर आरोप लगाने की कोशिश कर रही है कि वे विभिन्न विभागों के समन्वय और आदिवासी लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठाने में विफल रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “यह ठेकेदार-अधिकारी-राजनेता गठजोड़ है जो अट्टपाड़ी को चलाता है और हाशिए पर रहने वाले और भूखे आदिवासी उनकी उदासीनता के शिकार हैं. ज्यादातर विकास कार्य भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और लक्षित समूह-जनजातियों से चूक जाते हैं.”

इस बीच, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन अगले सप्ताह अट्टपाड़ी का दौरा करेंगे और आदिवासी लोगों की समस्याओं से निपटने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा करेंगे. केरल महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य आज आदिवासी क्षेत्र का दौरा करेंगी.

वहीं हाल ही में कोच्चि के आरटीआई कार्यकर्ता के. गोविंदन नम्बूदरी ने राष्ट्रीय अधिकार एजेंसी में शिकायत दर्ज करा कर सरकार द्वारा क्षेत्र में बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए चलाए जा रहे ‘‘करोड़ों रुपये के स्वास्थ्य एवं कल्याण योजनाओं’’ के क्रियान्वयन में कमी का आरोप लगाया है.

उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में विभिन्न विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आवंटित निधि के सोशल ऑडिट की भी मांग की है.

कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि ढुलमुल रवैया और कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में राज्य के स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय विभागों के बीच समन्वय की कमी मौजूदा हादसे के लिए जिम्मेदार है.

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