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छत्तीसगढ़: BSF कैंप का विरोध कर रहे हैं आदिवासी, राज्यपाल ने कहा- ‘आदिवासी हैं भोले-भाले, षड़यंत्रकारी भड़काते हैं’

अनुसुइया उइके ने कहा कि आदिवासी इलाकों में प्रशासन को समस्त लोगों के साथ बैठ कर विचार-विमर्श करने के बाद ही कोई काम शुरू करना चाहिए और आदिवासियों को इसका फायदा बताना चाहिए. उन्होंने कहा अगर कोई मांग मेरे संज्ञान में आती है तो उस पर प्रशासन से बात करूंगी.

छत्तीसगढ़ के बस्तर में चल रहे आदिवासी समाज के आंदोलन पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा है कि आदिवासी बहुत सीधे और सरल होते हैं. उन्हें तो षड़यंत्रकारी मिसगाइड करते हैं. जिसके बाद ही आदिवासी उनके कहने पर इस तरह के आंदोलन करते हैं.

राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शासन-प्रशासन को आदिवासियों से समन्वय बनाकर काम करने कहा गया है ताकि आंदोलन की नौबत ही न आए. अनुसुइया उइके ने यह भी कहा कि आदिवासी इलाकों में आवागमन के साधन नहीं है. सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से सड़क और पुलिया बनेगी और इससे सभी को फायदा मिलेगा.

राज्यपाल अनुसुइया उइके बुधवार को बालोद जिले के राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला में शामिल होने पहुंची थी. आयोजन से पहले धमतरी के रेस्ट हाउस में मीडिया से चर्चा में उन्होंने बस्तर में चल रहे आदिवासी समाज के आंदोलन पर अपनी बात रखी.

अनुसुइया उइके ने कहा कि आदिवासी इलाकों में प्रशासन को समस्त लोगों के साथ बैठ कर विचार-विमर्श करने के बाद ही कोई काम शुरू करना चाहिए और आदिवासियों को इसका फायदा बताना चाहिए. उन्होंने कहा अगर कोई मांग मेरे संज्ञान में आती है तो उस पर प्रशासन से बात करूंगी.

दरअसल कांकेर जिले के छोटाबेठिया के बेचाघाट में मंगलवार शाम से नया बीएसएफ कैंप खोलने के विरोध में करीब दो हजार आदिवासियों ने अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है.

अबूझमाड़ से जुड़े अंदरूनी इलाकों में नया बीएसएफ कैंप नहीं खोलने और कोटरी नदी पर प्रस्तावित पुल निर्माण का विरोध ग्रामीण कर रहे हैं. जबकि उसी इलाके में ग्रामीण आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग भी कर रहे हैं.

आदिवासियों का कहना है कि सुरक्षा बलों का जंगलों में बढ़ता दबाव उनकी जिंदगी में अशांति फैला रहा है. वहीं बस्तर पुलिस के अफसरों का कहना है कि जो सरकार विरोधी आंदोलन बस्तर में चल रहे उसके पीछे नक्सलियों का हाथ है.

वहीं राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन स्थानीय आदिवासियों से बातचीत कर विकास गतिविधियों से संबंधित निर्णय उनकी सहमति से लें.

बस्तर के आईजी पी सुंदरराज ने कहा कि कोटरी क्षेत्र में कोई बीएसएफ कैंप प्रस्तावित नहीं था क्योंकि निकटतम छोटाबेठिया थाना सिर्फ दो किलोमीटर दूर है, हालांकि सोनपुर से छोटेबेठिया के बीच 78 किलोमीटर सड़क का विस्तार प्रस्तावित है.

आईजी ने कहा, “ज्यादातर नक्सलियों के ठिकाने अंतरराज्यीय या अंतर-जिला सीमाएं हैं और एक बार कोटरी नदी पर पुल के अस्तित्व में आने के बाद, यह लगभग 40-50 गाँवों को एक दूसरे से और मुख्यालय से जोड़ देगा. इस प्रकार तिराहे पर नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना जो दक्षिण कांकेर को उत्तरी अबूझमाड़ क्षेत्र से जोड़ता है, काफी हद तक प्रभावित होगा.”

उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से, माओवादियों ने ग्रामीणों को लामबंद किया है क्योंकि वे इसे एक पुल की तरह बनाते हैं और उन्हें विकास की आवश्यकता नहीं है. लेकिन हम ग्रामीणों को समझाने और उनके साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे इस कदम की सराहना करें. विकास के खिलाफ खड़े होना उनके अपने अस्तित्व के लिए हानिकारक है क्योंकि पुल से उन्हें ज्यादातर बारिश में फायदा होगा जब ऐसे ग्रामीण द्वीपों में परिवर्तित हो जाते हैं, जो अन्य गांवों से अलग हो जाते हैं.”

आईजी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में किए गए विकास ने बस्तर क्षेत्र में माओवादियों के गढ़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सुरक्षा शिविरों के विकास और नेटवर्क के माध्यम से ही लापता बिंदुओं को जोड़ा जा रहा है.

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