HomeAdivasi Dailyआदिवासियों को बंधुआ मज़दूर बनाने वाले ठेकेदारों पर संगीन धाराएं, लेकिन गिरफ़्तारी...

आदिवासियों को बंधुआ मज़दूर बनाने वाले ठेकेदारों पर संगीन धाराएं, लेकिन गिरफ़्तारी नहीं

पाटिल भाइयों के लिए काम करने के दौरान लगी चोट के चलते अपनी बायीं आंख की रोशनी गंवाने वाले 40 वर्षीय संजय गोपाल वाघे की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वाघे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उनके पिता ने भी पाटिल भाइयों के लिए एक बंधुआ मजदूर के रूप में काम किया था.

भिवंडी में 18 आदिवासी परिवारों का शोषण करने वाले दो ठेकेदार भाइयों पर पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है. मंगलवार को इस सिलसिले में इन ठेकेदार भाइयों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है. 

चंद्रकांत पाटिल और राजाराम पाटिल पर बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पाटिल भाइयों ने कथित तौर पर पिलांजे बुद्रुक चिंचपाड़ा गाँव में आदिवासी परिवारों को गुलाम बना लिया था और उन्हें अपने ईंट भट्ठे और पत्थर की खदान में काम करने के लिए मजबूर किया था.

26 अगस्त को एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि इन आदिवासियों के साथ सार्वजनिक कोड़े लगाने जैसा अमानवीय बर्ताव किया जाता था. इसके अलावा इस रिपोर्ट में भुखमरी के कष्टदायक उदाहरणों और परिवारों को छोटे कर्जों में फंसाकर उनके शोषण को उजागर किया गया था. 

पाटिल भाइयों ने इन कर्जों का इस्तेमाल उन्हें गुलाम बनाने के लिए किया. इस मीडिया रिपोर्ट आने के कुछ दिनों बाद भिवंडी के तहसीलदार अधिक पाटिल ने 43 सदस्यों वाले 18 आदिवासी परिवारों को रिलीज सर्टिफिकेट जारी किया.

पाटिल भाइयों के लिए काम करने के दौरान लगी चोट के चलते अपनी बायीं आंख की रोशनी गंवाने वाले 40 वर्षीय संजय गोपाल वाघे की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वाघे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उनके पिता ने भी पाटिल भाइयों के लिए एक बंधुआ मजदूर के रूप में काम किया था. जबकि 15 साल की उम्र से उन्हें उनके लिए काम करने के लिए मजबूर किया गया था.

संजय वाघे ने यह भी आरोप लगाया कि बीमार होने पर भी वे उनसे काम करवाते थे और इलाज के लिए कभी पैसे नहीं देते थे. एफआईआर में कहा गया है, “साल 2000 में एक बार मैं अस्वस्थ था और मैंने अपना मेहनताना मांगा तो उन्होंने मुझे 500 रुपये दिए लेकिन मुझे उनके ईंट भट्ठे और पत्थर की खदान में काम करने के लिए भी कहा. कभी-कभी वे मुझे मुश्किल से 100 या 200 रुपये देते थे.”

एफआईआर में कहा गया है, “जब मैंने पाटिल भाइयों के लिए काम करना बंद कर दिया तो उन्होंने मुझे फिर से बुलाया और मुझे 500 रुपये का कर्ज चुकाने के लिए उनके लिए काम करने के लिए कहा. मुझे सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक काम करने के लिए मजबूर किया गया और अगर मैंने कहीं और जाने की हिम्मत की तो वे मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देते थे. मुझे और मेरी पत्नी को उनके लिए काम करने के लिए मजबूर किया गया.”

मामले की जांच का जिम्मा पुलिस उपाधीक्षक दिलीप गोडबोले को सौंपा गया है.

गणेशपुरी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने कहा कि चंद्रकांत पाटिल और उनके भाई राजाराम पाटिल के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) (एन) और 6 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 की धारा 15, 16, 17, 18.

अधिकारी ने कहा कि राजाराम जिस पर पिछले हफ्ते बलात्कार और POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. वो अब अंडरग्राउंड हो गया है. हमारी जांच चल रही है. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि उनके खिलाफ दर्ज अपराध प्रकृति में बेहद गंभीर हैं.

महाराष्ट्र में आदिवासियों के लिए योजनाओं की स्थिति को देखने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त समिति के अध्यक्ष विवेक पंडित ने कहा, “क्योंकि भिवंडी के ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है तो मुझे उम्मीद है कि (गणेशपुरी) पुलिस कानून के मुताबिक काम करेगी.”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments