अरूणाचल प्रदेश के किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. कोविड -19 महामारी के बीच, कम वर्षा के कारण सूखे जैसी स्थिति ने राज्य के किसानों की हालत ख़राब कर दी है. इसकी वजह से राज्य में धान की खेती और उत्पादन पर बेहद ख़राब असर हुआ है.
राज्य के जिन ज़िलों में हालात काफ़ी ख़राब बताये जा रहे हैं उनमें पूर्वी सियांग, निचली दिबांग घाटी, लोहित, नामसाई, चांगलांग और तिरप ज़िले शामिल हैं. राज्य के कृषि मंत्री के हवाले से यह ख़बर मीडिया को मिली है.
कृषि मंत्री तागे तकी ने कहा है, “जिन इलाक़ों में सिंचाई की सुविधाएँ मौजूद हैं, वहाँ पर फिर भी कुछ किसानों की फ़सल बच गई है. लेकिन सूखा पड़ने की वजह से ज़्यादातर किसानों की हालत ख़राब है. उनकी फ़सल बर्बाद हो गई है.”
उन्होंने बताया है कि कई ज़िलों में तो धान की फ़सल लगाई ही नहीं जा सकी है. क्योंकि धान की रोपाई के लिए खेतों में पानी ही नहीं था.

कृषि मंत्री तागे ने बताया है कि स्थिति की समीक्षा की जा रही है. इसके लिए कृषि सचिव को उभरती स्थिति से निपटने के लिए आकस्मिक योजना तैयार करने का निर्देश दिया गया है.
राज्य सरकार ने विभाग को जिलों में अपने अधिकारियों और फील्ड कर्मचारियों को ‘सक्रिय’ करने और सरकार को समय पर स्थिति रिपोर्ट भेजने का भी निर्देश दिया है.
कुछ डीएओ ने कीटों के संक्रमण और फसल के नुकसान की घटनाओं की भी सूचना दी है.
कृषि सचिव बिदोल तायेंग के अनुसार, “धान की फसल की रोपाई का मौसम लगभग खत्म हो गया है और इसलिए, किसानों के पास धान की मुख्य फसल को छोड़ने और वैकल्पिक फसलों की खेती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की स्थिति कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी का आधार नहीं होनी चाहिए.
तायेंग ने कहा, “किसानों ने खुद को कोविड -19 स्थिति से परिचित कर लिया है और विभाग को समय पर योजनाओं के साथ उन तक पहुंचना चाहिए,” विभाग को पंचायत निकायों के माध्यम से ग्रामीण लोगों तक पहुंचना चाहिए.
अरूणाचल प्रदेश के लगभग सभी किसान अलग अलग ट्राइबल ग्रुप से हैं.