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हैदराबाद में डॉक्टरों ने तीर से घायल छत्तीसगढ़ के आदिवासी किशोर को बचाया

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अमरेश राव मालेमपति के नेतृत्व में एक टीम ने आदिवासी किशेर की एक क्रिटिकल सर्जरी की.

हैदराबाद में निज़ाम इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (NIMS) के डॉक्टरों ने शनिवार, 24 मई को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गुट्टी कोया जनजाति (Gutti Koya tribe) के 17 वर्षीय लड़के की 4 घंटे की सर्जरी के बाद जान बचाई.

दरअसल, सोदी नंदा (Sodi Nanda) नाम के युवक को उस समय बहुत तकलीफ़ हुई जब एक तीर गलती से उसके सीने में घुस गया और उसके धड़कते दिल के पास जाकर लगा.

ऐसा कहा जा रहा है कि बीजापुर जिले के उसुर में शिकार अभियान के दौरान यह घटना हुई थी.

नंदा का पहले तेलंगाना के भद्राचलम के क्षेत्रीय अस्पताल में इलाज किया गया, जहां उसकी हालत स्थिर हो गई. लेकिन चोट गंभीर होने के कारण उसे उसी राज्य के वारंगल में महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में रेफर कर दिया गया.

लेकिन जब उसकी हालत बिगड़ी तो उसे तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के गांधी अस्पताल में तत्काल ट्रांसफर किया गया.

गांधी अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने फौरन नंदा को 23 मई की शाम को निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया.

कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ अमरेश राव मालेमपति के नेतृत्व में एक टीम ने एक क्रिटिकल सर्जरी की.

मेडिकल टीम ने तीर को निकालने और नंदा की सांस को स्थिर करने के लिए सर्जरी की.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह ऑपरेशन चार घंटे तक चला क्योंकि टीम ने नंदा के सीने की खतरनाक जगह को नाजुक तरीके से पार करके उनके दिल और फेफड़ों के बीच फंसे तीर को निकाला.

डॉक्टरों ने कहा, “चार घंटे तक चले ऑपरेशन में नंदा के दिल और फेफड़ों के बीच खतरनाक तरीके से फंसी वस्तु को निकालने के लिए नाजुक प्रक्रियाएं शामिल थीं.”

सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने बताया कि नंदा की हालत स्थिर है और वह ख़तरे से बाहर है. अब उसकी हालत में सुधार हो रहा है.

डॉक्टरों ने कहा कि अस्पताल ने नंदा की आर्थिक स्थिति के बारे में जानने के बाद सर्जरी नि:शुल्क की है.

अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एन. भीरप्पा ने कहा कि सर्जरी बहुत गंभीर थी और अस्पताल ने नंदा की आदिवासी पृष्ठभूमि को देखते हुए सभी शुल्क माफ करने का फैसला किया.

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