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तेलंगाना में पोडु भूमि को लेकर आदिवासियों और वन विभाग अधिकारियों के बीच झड़प

पोडु खेती को लेकर सरकार और आदिवासी समूहों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है. सरकार के पास इस भूमि के पट्टों के लिए 90 हज़ार से ज़्यादा आवेदन हैं, जिसमें से आधे से ज़्यादा अभी भी पेंडिंग हैं.

‘पोडु’ भूमि को खाली करवाने की तेलंगाना वन विभाग की मुहिम में तीन अधिकारियों की पिटाई हो गई. सोमवार को कोठागुडम ज़िले के दुम्मगुडम मंडल के चिंतागुप्पा गाँव में आदिवासियों ने तीन वन अधिकारियों को पीटा.

मुद्दा लगभग 27 हेक्टेयर वन भूमि से जुड़ा है, जहां आदिवासी ‘पोडु’ खेती करते हैं. वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने हाल ही में तेलंगाना सरकार के कू हरिता हरम कार्यक्रम के तहत इस ज़मीन को क्लियर करवाया था.

अधिकारियों के मुताबिक़ पहले आदिवासियों ने भूमि साफ़ करने से इन लोगों को रोक दिया था, लेकिन बातचीत के बाद आदिवासियों ने अगले दिन वन विभाग को बाधित नहीं किया.

सोमवार को ज़िला वन अधिकारी को भूमि के निरीक्षण के लिए पहुंचना था. इस विज़िट की तैयारी के लिए जब वन कर्मचारी वहां पहुंचे, तो आदिवासियों ने उनपर हमला कर दिया.

वन अधिकारियों का आरोप है कि आदिवासियों ने उन्हें एक पेड़ से बांध दिया, और उनकी पिटाई की. उसके बाद इन अधिकारियों ने एक वरिष्ठ वन अधिकारी को फोन किया, जिनके हस्तक्षेप के बाद इन अधिकारियों को रिहा किया गया.

दरअसल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के आदिवासी पोडु खेती करते हैं. शिफ़्टिंग कल्टीवेशन को ही पोडु खेती कहा जाता है, और इसमें जंगल का एक हिस्सा खाली कर उसपर कुछ साल तक खेती की जाती है. इसके बाद खेती के लिए दूसरी जगह ढूंढी जाती है, ताकि भूमि फिर से उपजाऊ हो सके.

पोडु खेती को लेकर सरकार और आदिवासी समूहों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है. सरकार के पास इस भूमि के पट्टों के लिए 90 हज़ार से ज़्यादा आवेदन हैं, जिसमें से आधे से ज़्यादा अभी भी पेंडिंग हैं.

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