झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पश्चिम बंगाल के जंगल महल आदिवासी इलाक़ों के लिए स्वायत्त काउंसिल बनाने की माँग की है. उन्होंने कहा है कि संविधान की अनुसूची 5 के तहत राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में आदिवासी स्वायत्त परिषद का गठन किया जाना चाहिए. संविधान की अनुसूची 5 आदिवासी इलाक़ों में प्रशासन और अनुसूचित इलाक़े के नियंत्रण में आदिवासियों को विशेषाधिकार देती है.
गुरुवार यानि 28 जनवरी को हेमंत सोरेन पश्चिम बंगाल के झारग्राम ज़िले के दौरे पर थे. यहाँ पर उन्होंने आदिवासियों की एक रैली को संबोधित किया. पश्चिम बंगाल में चुनाव का माहौल है, और ऐसा लगता है कि हेमंत सोरेन अपनी पार्टी के लिए यहाँ पर संभावनाएँ तलाश रहे हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं का दावा है कि अगर पार्टी यहाँ के चुनावों में अपने उम्मीदवार उतारती है, तो उसे अच्छी सफलता मिल सकती है.
हेमंत सोरेन ने केन्द्र की बीजेपी सरकार की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि बीजेपी राष्ट्रीय संपत्ति बेचने के अलावा कुछ नहीं कर रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में झारग्राम लोकसभा सीट बीजेपी ने जीती थी.
हेमंत सोरेन ने माँग की है कि राज्य के आदिवासी इलाक़ों के लिए पश्चिमांचल स्वायत्त परिषद का गठन किया जाना चाहिए. पश्चिम बंगाल की राजनीति में यह माँग पुरानी है. इस माँग को देखते हुए वाममोर्चा सरकार ने वर्ष 2000 में पश्चिमांचल उन्नायन परिषद का गठन किया था. 2006 में वाममोर्चा सरकार ने इस सिलसिले में एक अलग विभाग भी गठित किया था.
हेमंत सोरेन ने अब इस पुरानी माँग को जीवित कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वो यहाँ के आदिवासियों के साथ मिलकर इस माँग के लिए लड़ते रहेंगे.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के बारे में कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल के जंगल महल की कम से कम तीन विधानसभा सीटों पर उसका प्रभाव है. हालाँकि पार्टी अभी तक राज्य में अपना खाता खोलने में नाकाम ही रही है.
लेकिन हेमंत सोरेन की रैली से ममता बनर्जी नाराज़ हो गई हैं. उन्होंने कहा है कि उन्हें अफ़सोस है कि हेमंत सोरेन पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाक़ों में घूम रहे हैं. ममता बनर्जी ने उन्हें सलाह दी है कि वो झारखंड में आदिवासियों के लिए काम करें.
2019 के चुनाव में राज्य की आदिवासी बहुल 8 सीटों में से बीजेपी ने 5 सीट जीत ली थीं. ये सीटें थीं मेदनीपुर, बाँकुरा, बिशनपुर, पुरुलिया और झारग्राम, जबकि तृणमूल कांग्रेस को सिर्फ़ तीन सीट ही मिली थीं जिसमें घाटाल, बोलपुर और बीरभूम शामिल हैं.
ममता बनर्जी के लिए राज्य में सत्ता में बने रहने के लिए आदिवासी इलाक़ों में अच्छा प्रदर्शन करना बेहद ज़रूरी है.