HomeAdivasi Dailyमणिपुर में बड़े पैमाने पर पलायन, 2 हज़ार लोग पड़ोसी राज्य असम...

मणिपुर में बड़े पैमाने पर पलायन, 2 हज़ार लोग पड़ोसी राज्य असम पहुंचे

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में एक साल से ज्यादा समय से हिंसा की आग में जल रहा है. 3 मई 2023 को घाटी में जातीय हिंसा भड़की थी. उस वक्त से लेकर अब तक हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती हैं.

मणिपुर (Manipur) में एक बार फिर स्थिति बिगड़ने लगी है और कई जगहों पर हिंसक घटनाएं सामने आई हैं. इसी बीच राज्य के जिरीबाम जिले (Jiribam district) में भड़की हिंसा के कारण करीब 2,000 लोगों का विस्थापन हुआ है. जिसके कारण सुरक्षा बलों को असम में पड़ोसी कछार जिले (Cachar district) को हाई अलर्ट पर रखना पड़ा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम का लखीपुर, जो जिरीबाम से सटा हुआ क्षेत्र है. वहां के विधायक कौशिक राय (Kaushik Rai) ने अनुमान लगाया कि करीब 1,000 लोगों ने कछार में शरण ली है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है.

उनके मुताबिक विस्थापित लोगों में अधिकांश लोग कुकी और हमार हैं. ये दोनों ज़ो जनजाति का हिस्सा हैं और समूह में मैतेई लोग भी हैं.

लखीपुर के विधायक कौशिक राय ने कहा, “हमने डीसी और एसपी के साथ सोमवार को लखीपुर में रहने वाले विभिन्न सामुदायिक संगठनों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में हमने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में भड़की हिंसा को फैलने से रोका जाए. हमारे यहां बहुत विविधतापूर्ण आबादी है. जिसमें बंगाली, हिंदी भाषी, मणिपुरी मुसलमान, बिहारी, दिमासी, हमार, कुकी, खासी और रोंगमेई शामिल हैं. ऐसे लोग हैं जिन्होंने यहां शरण ली है, लेकिन जो भी हो, असम को प्रभावित नहीं होना चाहिए.”

इस बीच कछार के एसपी नुमल महत्ता ने कहा कि लखीपुर सब-डिवीजन में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और वहां विशेष कमांडो भी तैनात किए गए हैं.

जिरीबाम के हमार मिज़ो वेंग के एक निवासी, जो अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते और अब कछार के हमारखावलीन गांव में रह रहे हैं. उन लोगों में शामिल थे जो हिंसा के बाद अपने परिवार के साथ भाग गए. उन्होंने बताया कि वे 6 जून की रात को नाव से जिरी नदी पार कर गए.

जब तक वह अपना घर छोड़कर भाग नहीं गए, उनका परिवार राज्य में जारी संघर्ष के बावजूद जिरीबाम में ही रहा.

उन्होंने कहा, “आश्रय चाहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. अभी यहां करीब 400 लोग हैं. हमें नहीं पता कि हमारे लिए वापस जाना कब संभव होगा.”

जिला प्रशासन के मुताबिक, सोमवार तक 918 लोग जिरीबाम जिले में बनाए गए छह राहत शिविरों में रह रहे हैं, जो खेल परिसरों और स्कूलों में शरण ले रहे हैं.

ये ज्यादातर मैतेई लोग हैं, जिन्हें 8 जून को उनके कई घरों को जला दिए जाने के बाद पुलिस और असम राइफल्स द्वारा शिविरों में ले जाया गया था.

इनमें मधुपुर की सुभिता ओकराम भी शामिल हैं. ओकराम फिलहाल जिरीबाम के एक खेल परिसर में बने राहत शिविर में रह रही हैं.

सुभिता ने कहा, “हमने गुरुवार को ही अपना गांव छोड़ दिया था क्योंकि हमने सुना था कि उग्रवादियों ने गांवों को घेर लिया है. हमने बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में शरण ली. लेकिन उसके बाद हमें खबर मिली कि हमारे घरों में आग लगाई जा रही है और हमें राहत शिविर में ले जाया गया. अब हमें नहीं पता कि हम वापस जा सकते हैं या नहीं.”

मणिपुर में हिंसा की स्थिति

नए जातीय समूहों के बीच झड़पों के कारण मणिपुर में फिर से उबाल है. राज्य के जिरीबाम जिले में मैतेई और कुकी लोगों के बीच झड़पें फिर से शुरू हो गई हैं. पिछले तीन दिनों से जिरीबाम में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है.

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है. लेकिन धारा 144 के बीच जिरीबाम में गोलीबारी, बम विस्फोट और आगजनी की तमाम घटनाएं जारी हैं.

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना के जवानों को तैनात किया गया है लेकिन राज्य में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.

CM की सुरक्षा टीम पर हमला

वहीं सोमवार, 10 जून को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) के काफिले पर हमला हुआ. काफिले का रास्ता सुरक्षित करने के लिए जो दो गाड़ियां (ऐडवांस पार्टी)  पहले गई थीं, कांगपोकपी ज़िले में हथियारबंद उग्रवादियों ने उसपर हमला किया. इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया है.

घटना सुबह क़रीब 10.40 बजे की है. सुरक्षाकर्मी इंफाल और जिरीबाम ज़िले को जोड़ने वाले नैशनल हाईवे-37 से जा रहे थे. जैसे ही एडवांस पार्टी कोटलेन गांव के पास पहुंची, उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं. सुरक्षा बल ने जवाबी फ़ायरिंग की. पुलिस सूत्रों के मुताबिक़, गोलीबारी कुछ देर तक जारी रही.

गाड़ी में कुल तीन लोग थे. घायल पुलिसकर्मी का नाम मोइरंगथेम अजेश बताया जा रहा है. उम्र, 32 साल. बिष्णुपुर ज़िले के रहने वाले हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया है कि उनके दाहिने कंधे पर गोली लगी है, और उन्हें इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.

अभी तक पुलिस को हमलावरों के बारे में कोई सबूत या जानकारी नहीं मिली है.

मणिपुर एक साल शांति की राह देख रहा – मोहन भागवत

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में एक साल से ज्यादा समय से हिंसा की आग में जल रहा है. 3 मई 2023 को घाटी में जातीय हिंसा भड़की थी. उस वक्त से लेकर अब तक हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती हैं.

इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर में शांति बहाली की मांग की है.

आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा कि मणिपुर एक साल से जल रहा है और शांति की राह देख रहा है. इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि काम करें, पर मैंने किया इसका अहंकार ना पालें, वही सही सेवक है. संघ प्रमुख के इस संबोधन को केंद्र की मोदी सरकार के लिए बड़े मैसेज के तौर पर देखा जा रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments