HomeAdivasi Dailyमध्य प्रदेश: आदिवासी विकास के इवेंट के शोर में सच्चाई दबाने का...

मध्य प्रदेश: आदिवासी विकास के इवेंट के शोर में सच्चाई दबाने का प्रयास है

मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा और भारिया महिलाओं का स्वास्थ्य ठीक रखने और पोषण के लिए आहार अनुदान योजना वर्ष 2017 से शुरू की गई थी. उन्होंने आदिवासी महिलाओं के खाते में कुल 23 करोड़ रूपये ट्रांसफ़र कर अपनी सरकार की पीठ थपथपाई है. लेकिन इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार के दावों और ज़मीनी सच्चाई में काफ़ी फ़र्क़ मिलता है.

मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सहरिया, बैगा और भारिया की महिलाओं को उनके जीवन के गुजर-बसर के लिए पोषण भत्ते का वितरण किया. उन्होंने विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा और भारिया के 2 लाख 33 हज़ार 570 परिवार की महिला मुखियाओं के खातों में 23 करोड़ 35 लाख 70 हजार रुपये ट्रांसफ़र किये.

इन महिलाओं के व्यक्तिगत खातों में सितंबर महीने के लिए एक-एक हज़ार रुपये की राशि ट्रांसफर की गई है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा और भारिया की महिलाओं का स्वास्थ्य ठीक रखने और पोषण के लिए आहार अनुदान योजना वर्ष 2017 से शुरू की गई थी. तब से राज्य सरकार द्वारा हर महीने पोषण आहार के लिए एक-एक हजार रुपये की राशि इन महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर रही है.

मुख्यमंत्री ने इस मौक़े पर राज्य में 260 आदिवासी बच्चों के जेईई, नीट और क्लैट की परीक्षा में सफलता का श्रेय लेने का भी प्रयास किया. उन्होंने कहा कि इन बच्चों की सफलता के पीछे उनकी मेहनत और विभाग द्वारा दिया गया मार्गदर्शन अहम है. उन्होंने ऐलान किया है कि सरकार सफल हुए बच्चों की फ़ीस का इंतज़ाम भी करेगी.

उन्होंने कहा कि फ़ीस के अलावा बच्चों की शिक्षा के लिए नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें, साइकल, गणवेश, छात्रवृत्ति आदि की सुविधाएं राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जा रही हैं. उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिए भी भरपूर मदद की जा रही है.

मुख्यमंत्री ने सहरिया, बैगा और भारिया जनजाति की महिलाओं से वर्चुअल संवाद किया. उन्होंने छिंदवाड़ा जिले की नीलू भारती, डिण्डोरी जिले की जानकी बाई और गुना जिले की गीता बाई से बात की. सीएम ने इन औरतों से पूछा कि पोषण आहार की एक-एक हज़ार रूपए की राशि उन्हें नियमित रूप से मिल रही है या नहीं.

सीएम चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को श्योपुर जिले के कुनो पालपुर और कराहल का दौरा करेंगे. वह कराहल में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत करेंगे.

आदिवासी विकास के इवेंट के शोर से सच्चाई दबाने की कोशिश

मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आदिवासियों का समर्थन बेहद ज़रूरी है. 2018 में बीजेपी को आदिवासी इलाक़ों में समर्थन नहीं मिलने से सत्ता से बाहर होना पड़ा था. पिछले दरवाज़े से एक बार फिर सत्ता में पहुँचे शिवराज चौहान अब आदिवासी मतदाता को रिझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.

इस सिलसिले में उनकी सरकार एक के बाद एक घोषणाएँ कर रही है. आदिवासियों के लिए बड़े बड़े आयोजन किये जा रहे हैं. इन आयोजनों में से कई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए हैं. 

मध्य प्रदेश में लंबे समय से सत्ता सँभाल रहे शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों के विकास का काफ़ी ढोल पीटा है. लेकिन आँकड़े और रिकॉर्ड कुछ और ही कहता है. मसलन राज्य में 1996 में बने पेसा क़ानून को लागू करने की घोषणा कुछ महीने पहले ही हुई है. अभी भी इस क़ानून के नियमों को तैयार करने में ढिलाई दिखाई देती है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पोषण आहार के लिए 23 करोड़ रूपये आदिवासी महिलाओं के खाते में ट्रांसफ़र कर श्रेय लेने की कोशिश की है. लेकिन सच्चाई यह है कि 2017 में शुरू हुई इस योजना का लाभ आदिवासी महिलाओं को बहुत देर से और बहुत कम मिला है. 

इस मामले को समझने के लिए गहरी पड़ताल की ज़रूरत नहीं पड़ती है. इस सिलसिले में छपी ख़बरों से ही असली स्थिति का पता चल जाता है. मसलन 7 अप्रैल 2021 को ख़बर छपी है कि श्योपुर जिले में आदिवासी कल्याण योजना के अंतर्गत आदिवासी महिलाओं को पोषण आहार के लिए हर माह मिलने वाली 1 हजार रुपए की राशि 10 महीनों से नहीं मिली थी. 

जिले के सलमानिया गांव की सैकड़ों महिलाएं इस मसले को ले कर जिला मुख्यालय पहुंची. जहां उन्होंने एसडीएम नवजीवन पंवार को ज्ञापन के माध्यम से कहा कि कई महिलाओं 6 बार मुख्यालय आकर राशि नहीं मिलने की पीड़ा अफसरों के सामने बयां कर चुकी हैं. लेकिन सुनवाई नहीं हो रही थी.

अक्टूर में शहडोल ज़िले से एक ख़बर छपी थी. इस ख़बर में पता चला कि बैगा महिलाओं को शासन द्वारा दी जाने वाली हर महीने 1000 रुपए की राशि चार महीने से नहीं मिली थी. जिले की लगभग 22537 बैगा महिलाओं के बैंक खाते बैगा विकास अभिकरण द्वारा खोलवाए गए हैं, लेकिन इन महिलाओं को जून महीने के बाद इनके खाते में पैसे नहीं भेजे गए थे. 

24 मई 2018 को शहडोल से ही एक और ख़बर छपी थी. इस ख़बर के अनुसार कुपोषण से मुक्ति के लिए बैगा परिवारों की महिलाओं को हर माह एक हजार रुपए दिए जाते हैं. यह राशि सीधे उनके खातों में आती है. मध्य प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2017 में योजना की शुरुआत की थी. 

योजना को शुरू हुए छह माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक अधिकतर बैगा महिलाओं को एक रुपए नहीं मिले थे. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments