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मणिपुर में केंद्र और कुकी उग्रवादी समूहों के बीच SoO समझौते को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन

पिछले कुछ दिनों में मैतेई समूह मांग कर रहे हैं कि एसओओ को वापस लिया जाए क्योंकि ऐसे उग्रवादी समूहों के सदस्य मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान हिंसा में शामिल हुए हैं.

मणिपुर (Manipur) में कुकी उग्रवादी समूहों (Kuki militant groups) के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौता गुरुवार को समाप्त हो रहा है. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इसके नवीनीकरण या निरस्तीकरण पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है.

इस बीच बुधवार को हजारों महिलाओं ने इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में केंद्र और कुकी उग्रवादी समूहों के बीच सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते को खत्म करने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया.

पांच घाटी-आधारित नागरिक समाज संगठनों के समूह, मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (COCOMI) के एक आह्वान के बाद धरने का आयोजन किया गया था.

इंफाल के ख्वायरमबंद कीथेल (Khwairamband Keithel) में प्रदर्शनकारियों ने एसओओ समझौते को तत्काल रद्द करने और राज्य विधानसभा से समझौते को रद्द करने पर एक प्रस्ताव अपनाने की मांग करते हुए नारे लगाए.

इसी तरह के विरोध प्रदर्शन इंफाल पूर्वी जिले के खुरई और वांगखेई, इंफाल पश्चिम जिले के सिंगजामेई और उरीपोक में भी किए गए.

इसके अलावा बुधवार की रात सैकड़ों मीरा पैबिस, जो मैतेई महिलाएं हैं. उन्होंने भी एसओओ को नवीनीकृत न करने की मांग करते हुए इंफाल भर में एक कैंडललाइट मार्च निकाला.

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में मैतेई समूह मांग कर रहे हैं कि एसओओ को वापस लिया जाए क्योंकि ऐसे उग्रवादी समूहों के सदस्य मणिपुर में जातीय संघर्ष के दौरान हिंसा में शामिल हुए हैं.

COCOMI जैसे नागरिक समाज समूहों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखा है.

वहीं दूसरी तरफ कुकी-ज़ो विधायकों ने भी पिछले नौ महीनों में पीएम और एचएम को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि एसओओ को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए.

कुकी समूहों ने बताया कि सरकारी शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा हिस्सा मैतेई नागरिकों और कट्टरपंथी मैतेई समूह, अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों के पास है.

मणिपुर में 25 सशस्त्र कुकी सशस्त्र समूहों के साथ एसओओ समझौते को 29 फरवरी, 2023 तक एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था. केंद्र ने 2008 से हर साल विस्तार को नवीनीकृत किया है.

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को कहा, “हम केंद्र से भी स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं. मणिपुर में स्थिति शांतिपूर्ण लेकिन तनावपूर्ण है.”

एसओओ समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों – KNO और UPF द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. समझौते पर पहली बार 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे और उसके बाद समय-समय पर इसे बढ़ाया गया.

पिछले साल मार्च में राज्य द्वारा एसओओ के एकतरफा निलंबन को भी उस जातीय हिंसा के पीछे के कारकों में से एक के रूप में देखा जाता है जिसने मई के बाद से राज्य को झकझोर कर रख दिया है.

ट्रिगर का काम किया हाई कोर्ट के आदेश ने जिसमें कहा गया था कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिले. जिसके बाद कुकियों का विरोध भड़क गया जो हिंसक हो गया.

सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौता क्या है?

शत्रुता समाप्त करने के लिए 22 अगस्त 2008 को भारत सरकार, मणिपुर सरकार और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) के बीच सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन पर पहली बार हस्ताक्षर किए गए थे. उग्रवादी समूह किसी भी प्रकार की हिंसा को पूरी तरह से रोकने पर सहमत हुए.

केंद्र और राज्य सरकार इस बात पर भी सहमत हुए कि कोई भी बल (सेना, अर्धसैनिक बल, राज्य पुलिस) समझौते की शर्तों का पालन करने पर हस्ताक्षरकर्ताओं के खिलाफ अभियान शुरू नहीं करेगा.

एक संयुक्त निगरानी समूह (JMG) का गठन किया गया जिसमें प्रमुख सचिव (गृह), महानिरीक्षक, अतिरिक्त महानिदेशक (खुफिया), सेना, अर्धसैनिक बलों और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे.

जेएमजी को हर महीने बैठक करने और यह जांचने का काम सौंपा गया है कि उग्रवादी समूह समझौते की शर्तों का पालन कर रहे हैं या नहीं.

समझौते की कुछ शर्तों को पिछले कुछ वर्षों में कम से कम तीन बार संशोधित किया गया है. जो कि इस प्रकार है –

. उग्रवादी समूहों के कैडरों को निर्दिष्ट शिविरों में रहना होगा.

. शिविर का नियमित प्रशासन समूह के हाथ में होगा.

. कैडरों को 6 हज़ार का मासिक वजीफा दिया जाता है.

. ऐसे शिविर आबादी वाले क्षेत्रों और राष्ट्रीय राजमार्गों के करीब नहीं होंगे. साथ ही ऐसे शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से दूर स्थित होने चाहिए.

. यूजी समूह के कैडरों की एक पूरी सूची राज्य पुलिस की विशेष शाखा को नाम, जन्म तिथि और नवीनतम तस्वीरों के साथ दी जाती है. सभी कैडरों को पहचान पत्र जारी किए गए हैं.

. समूह के नेताओं/कैडरों को बार-बार स्थानांतरित होने की जरूरत होती है, उन्हें आईजीपी (इंटेलिजेंस) मणिपुर द्वारा अलग-अलग फोटो पहचान पत्र दिए जाएंगे.

. जेएमजी समूह के उन नेताओं की सूची तय करता है जिन्हें पीएसओ रखने की अनुमति दी जाएगी. उनके पास 5 से अधिक पीएसओ नहीं हो सकते.

. किसी भी समय 20 फीसदी से अधिक कैडरों को शिविर छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

. राज्य सरकार और जेएमजी सदस्य उल्लंघनों की जांच के लिए शिविर में निरीक्षण कर सकते हैं.

. सभी हथियार शिविर के शस्त्रागार के भीतर एक डबल लॉकिंग सिस्टम में रखे जाएंगे, जिसमें एक चाबी समूह के पास और दूसरी संबंधित सुरक्षा बल के पास होगी.

. कैडरों को अतिरिक्त हथियार, गोला-बारूद या सैन्य उपकरण हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

. उन्हें कैडरों की नई भर्ती करने या अतिरिक्त सैन्य/नागरिक संगठन/फ्रंट संगठन खड़ा करने या अपनी सरकार चलाने की कोशिश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

. वे सुरक्षा बलों या जनता के खिलाफ आक्रामक अभियान नहीं चलाएंगे.

. वे स्मारकों का निर्माण नहीं करेंगे, झंडे नहीं फहराएंगे या सशस्त्र कैडरों की परेड नहीं निकालेंगे.

. किसी भी उल्लंघन के मामले में राज्य सरकार एसओओ को रद्द कर सकती है लेकिन ऐसा सिर्फ जेएमजी की सिफारिश पर ही किया जा सकता है.

जेएमजी में केंद्र के गृह मंत्रालय, सेना और अर्धसैनिक बलों के सदस्य हैं जो राज्य के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट नहीं करते हैं.

(PTI File image)

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