लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Shabha Election 2024) की तारीख की घोषणा कभी भी हो सकती है.इसलिए सभी पार्टियों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.
राजनीतिक दल जब चुनाव की तैयारी शुरु करती हैं तो सामाजिक समिकरण और अलग अलग समुदायों और वर्गों को ध्यान में रखती हैं.
इस सिलसिले में इस बार आदिवासी समुदायों की चर्चा काफ़ी हो रही है. आदिवासी समुदाय के लिए लोकसभा की 47 सीटें आरक्षित हैं.
कांग्रेस पार्टी ने 14 जनवरी 2024 को भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) की घोषणा की थी. यह भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का दूसरा चरण है. इस यात्रा में 3 महीने के भीतर 14 राज्यों के 110 ज़िलों का भ्रमण करने की योजना है. जिसमे 100 लोकसभा सीट और 337 विधानसभा सीट शामिल है
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यात्रा की शुरूआत मणिपुर के थौबल ज़िले से कई गई थी और यह महाराष्ट्र में जाकर समाप्त होगी. इस पूरी यात्रा में लगभग 6200 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी.
अब तक कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान 9 राज्यों का दौरा कर चुके है.
राहुल गांधी ने सिर्फ मुख्यधारा के मुद्दों पर नहीं, बल्कि आदिवासियों के बड़े मुद्दों पर भी बात की है.
यात्रा के दौरान अब तक राहुल गांधी ने आदिवासियों को:-
- जातीय जनगणना
- 50 प्रतिशत आरक्षण(जिनमें ओबीसी और एससी भी शामिल है)
- आदिवासियों के अब तक की सबसे बड़ी मांग सरना धर्म को देने का वादा किया है.
आइए जानते है की कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रत्येक राज्य में आदिवासियों के किन-किन मुद्दों पर बात की है…
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मणिपुर
राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरूआत मणिपुर की राजधानी इंफाल से की जानी थी. हालांकि सुरक्षा संबंधित कारण कह लीजिए या फिर राजनीतिक वार, कांग्रेस को इंफाल में प्रवेश नहीं मिल सका.
जिसके बाद कांग्रेस ने अपनी इस यात्रा की शुरूआत 14 जनवरी 2024 को राज्य के थौबल से की थी.
मणिपुर से ही क्यों की यात्रा की शुरूआत
पिछले साल मई में हुए कुकी और मैतई के बीच आदिवासी पहचान का संघंर्ष अब तक ज़ारी है. इस संघंर्ष में सैंकड़ों कुकी और मैतई की मौत हो गई. हालांकि सरकार के खाते में लगभग 200 मौते ही दर्ज हुई है.
मणिपुर के इस मुद्दे को मेनस्ट्रीम मीडिया ने काफी अहमियत दी. ऐसा पहली बार हुआ, जब मेनस्ट्रीम मीडिया में आदिवासी से जुड़े मुद्दे को प्रचलित किया गया. इसलिए आदिवासियों के मुद्दों पर अपनी चिंता दिखाने के लिए मणिपुर ही सबसे बेहतर विकल्प हो सकता था.
इसी सिलसिले में राहुल गांधी ने अपने भाषण में बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाते हुए कहा की बीजेपी और आरएसएस की नफरत और हिंसा की राजनीति ने मणिपुर को तोड़ दिया है.
उन्होंने आगे कहा की मणिपुर की इस जातीय संघंर्ष में हज़ारों की मौत हो गई और कई लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. हम पूरे देश को मणिपुर के लोगों के दर्द का अहसास करवाना चाहते है.
नागालैंड
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नागालैंड में अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य के आदिवासियों की कई सालों से चली आ रही मांग पर बात की.
उन्होंने कहा की राज्य के आदिवासियों की सालों से ये मांग है की राज्य को स्वशासी बनाया जाए. मतलब राज्य के खुद के कायदे-कानून हो और उनका खुद का अपना एक झंडा भी हो.
क्योंकि यहां पर रहने वाले आदिवासियों की जीवनशैली मुख्यधारा समाज़ से काफी भिन्न है.
राहुल गांधी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा की नागालैंड की चली आ रही सालों की मांग को सरकार नहीं सुन रही है. हालांकि ये भी बात ध्यान देने वाली है की इसी मसले को हल करने के लिए 2015 में सरकार और राज्य के National Socialist Council के बीच संधि हुई थी.
लेकिन इस समझौते से नागालैंड के कितने आदिवासी सहमत है. यह कह पाना मुश्किल है.
असम
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जल, जंगल और ज़मीन ये आदिवासियों का ऐसा मुद्दा है. जिसकी मांग देश का प्रत्येक आदिवासी कर रहा है.
आदिवासी जल, जंगल और ज़मीन पर अपना हक या अधिकार मांग रहे है.
असम में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने इसी मुद्दे का उठाया था.
राहुल गांधी ने कहा, “हम आपको सलाही कहते हैं जिसका मतलब है पहले निवासी और बीजेपी आपको वनवासी कहती है, जिसका मतलब है जंगलों में रहने वाले लोग.”
उन्होंने आगे कहा, “ हम चाहते हैं कि जो आपका(आदिवासी) है वह आपको लौटाया जाए. आपका जल, जमीन, जंगल पर आपका ही आधिकार होना चाहिए.”
इसके अलावा उन्होंने असम के लोगों से बातचीत की. वहीं आदिवासियों के लिए ऐसी कोई बड़ी घोषणा राहुल गांधी की तरफ से नहीं देखी गई.
मेघालय
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मेघालय के नोंगपो में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान उन्होंने आदिवासी भाषा को दर्जा देने का मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा की अनुसूची 8 में 22 भाषाओं को शामिल किया है. लेकिन सरकार ने मेघालय में प्रचलित दो भाषाओं (खासी और गारो) को इसमें शामिल नहीं किया.
उन्होंने बीजेपी को निशाना बनाते हुए कहा की गृह मंत्रालय खुद ही मेघालय सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार कहता है और खुद ही उनके साथ पार्टनरशिप करता है.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया की मेघालय सरकार को राज्य से नहीं बल्कि दिल्ली से चलाया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल
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यात्रा के दौरान पश्चिम बंगाल के आदिवासी और अन्य श्रमिकों ने राहुल गांधी को अपनी स्थिति बाताई.
ये सभी श्रमिक नरेगा योजना से जुड़े है. इस योजना को पहले मनरेगा कहा जाता था.
राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी की वे पश्चिम बंगाल में यात्रा के दौरान मनरेगा से जुड़े श्रमिकों से मिले.
श्रमिकों ने उन्हें बताया की उनके अकाउंट को बार-बार डिलीट कर दिया जाता है. यहां तक की मज़दूरों को उनके काम के बदले पैसे भी नहीं मिलते.
राहुल गांधी ने दावा किया की पश्चिम बंगाल में 76 लाख गरीब और आदिवासी परिवार मनरेगा पर निर्भर है. लेकिन राज्य में मनरेगा का बजट शून्य कर दिया गया है.
उन्होंने यह भी जानकारी दी की पिछले साल देश भर में 7 करोड़ श्रमिकों का जॉब कार्ड डिलीट कर दिया गया था और आधार कार्ड ना होने के कारण 35 प्रतिशत श्रमिकों को योजना से बाहर निकाल दिया गया.
बिहार
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बिहार में अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य के किशनगंज ज़िले में रैली निकाली.
इस रैली के दौरान उन्होंने बताया की अपनी यात्रा के नाम पर न्याय शब्द को इसलिए जोड़ा है क्योंकि देश में गरीब व्यक्ति को सामाजिक और आर्थिक न्याय नहीं मिल रहा है. इस यात्रा के दौरान वे ऐसे ही लोगों से मिलेगे, जो सालों से न्याय की मांग कर रहे हैं.
इसके साथ ही उन्होंने जातीय जनगणना का सभी को महत्व बताया.
राहुल गांधी ने अपने भाषण में यह जानकारी दी की देश की जनसंख्या का 50 प्रतिशत पिछड़े वर्ग, 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 12 प्रतिशत आदिवासी है.
उन्होंने जातीय जनगणना पर जोर देत हुए कहा की देश के ओबीसी, एससी और एसटी को अपनी जनसंख्या के बारे में जाने का पूरा अधिकार है.
झारखंड
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झारखंड के आदिवासियों के लिए राहुल गांधी ने सबसे बड़ी घोषणा की है. उन्होंने यह वादा किया है की आदिवासियों को सरना धर्म कोड दिया जाएगा. सरना धर्म कोड सिर्फ झारखंड के आदिवासियों की मांग नहीं है. बल्कि देश में कई राज्यों के आदिवासी इसकी मांग कर रहा है.
क्या है सरना धर्म कोड की मांग
झारखंड और देश के अलग- अलग राज्य के आदिवासियों की मांग है कि सरना धर्म को आगमी जनगणना 2024 के धर्म कॉलम में अलग स्थान दिया जाए. जैसे बाकी धर्मो को दिया गया है.
इसी मांग को लेकर आदिवासी सालों से प्रदर्शन का सहारा ले रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी एक्शन अभी तक नहीं लिया गया है.
इसके अलवा मौजूदा प्रावधानों के तहत 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है इसलिए उन्होंने वादा किया कि अगर इडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म कर दिया जाएगा.
उन्होंने अपने भाषण में कहा की दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को बंधुआ मजदूर बना दिया गया है और बड़ी कंपनियों, अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों और अदालतों में उनकी भागीदारी की कमी है.
ओडिशा
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ओडिशा में राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान राउरकेला से सुंदरगढ़ तक रैली निकाली. ये पूरा इलाका आदिवासी बहुल है. उन्होंने अपनी इस रैली में बताया की कैसे आदिवासी और अन्य वर्ग के लोग सुविधाओं और रोजग़ार कि कमी की वज़ह से उन्हें मजबूरन पलायन करना पड़ रहा हैं.
राहुल गांधी ने दावा किया है की राज्य के 30 लाख लोग अब तक पलायन कर चुके है. जबकि राज्य के सरकारी पद खाली पड़े हुए है.
इसके साथ ही राहुल गांधी ने आरोप लगाया की राज्य में बड़े-बड़े उद्योगपत्ति अपने फायदे के लिए आदिवासियों से उनकी ज़मीन और यहां तक की उनके जंगल जब्त कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी बताया की नवीन पटनायक और प्राधनमंत्री नरेंद्र मोदी मिलजुलकर राज्य सरकार चला रहे हैं.
राहुल गांधी अपने भाषण में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा की अगर फिर से मोदी सरकार आती है तो कांग्रेस द्वारा बनाए गए रेल, सेल, एयरपोर्ट जैसे पीएसयू को बड़े-बड़े उद्योगपत्तियों के हाथ में सौप दिया जाएगा.
छत्तीसगढ़
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कांग्रेस ने राज्य में अपनी सत्ता खो दी है और यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य के आदिवासी बस्तियों में दौरा करने की योजना बनाई. यह आदिवासी बस्तियां अधिकतर राज्य के उत्तरी भाग में स्थित थी.
पार्टी के रणनीतिकारियों को मानना है की उनकी पकड़ आज भी आदिवासी इलाकों में अच्छी है.
इसलिए पार्टी द्वारा यह तय किया गया था की रायगढ़, कोरबा और सरगुजा की अनुसूचित जनजाति बहुल लोकसभा सीटों के साथ-साथ जांजगीर-चांपा सीट पर भी वह रैली करेंगे.
ऐसा भी कहा जा रहा है की राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की तरह इस बार पैदल यात्रा नहीं कर रहे है. जिसके कारण उनकी लोगों से कम बातचीत हो रही है.