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मेघालय: उत्तरी गारो की आदिवासी परिषद के सभी 11 कांग्रेस सदस्य टीएमसी में शामिल

मेघालय विधानसभा में कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के दो सप्ताह बाद एमडीसी का परित्याग हुआ. जिससे पूर्वोत्तर राज्य में बेहद पुरानी पार्टी कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा.

मेघालय में कांग्रेस को एक और झटका देते हुए, उत्तरी गारो हिल्स जिले में एक आदिवासी परिषद के 11 सदस्य तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. जिससे ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी स्थानीय निकाय में मुख्य विपक्ष बन गई.

30 सदस्यीय गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद में कांग्रेस का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है क्योंकि उसके सभी 11 सदस्यों ने पाला बदल लिया है. परिषद में एनपीपी के 17 और बीजेपी के दो सदस्य हैं. पूर्वोत्तर राज्य खासी, जयंतिया और गारो जनजातियों के लिए तीन स्वायत्त परिषदों में विभाजित है.

टीएमसी की राज्य इकाई ने ट्विटर पर लिखा,”हमारे लिए एक बहुत ही खास दिन है क्योंकि 11 एमडीसी रेसुबेलपारा, नॉर्थ गारो हिल्स में हमारे परिवार में शामिल होते हैं. हम सभी का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं!”

मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा, जिन्होंने हाल ही में टीएमसी में प्रवेश किया था, ने भी उनका स्वागत किया.

वहीं टीएमसी ने कहा, “ममता बनर्जी के नेतृत्व में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारा राज्य लगातार ऊंचाइयों को छूता रहे.”

मेघालय विधानसभा में कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के दो सप्ताह बाद एमडीसी का परित्याग हुआ. जिससे पूर्वोत्तर राज्य में बेहद पुरानी पार्टी कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा.

दरअसल हाल ही में कांग्रेस के 17 में से 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. जो लोग कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं, उनमें मेघालय के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल हैं. वो पार्टी के राज्‍य में दिग्‍गज नेता माने जाते हैं.

पिछले कुछ दिनों से नेताओं का कांग्रेस से लगातार टीएमसी में जाने का दौर जारी है. इससे पहले कीर्ति आजाद और अशोक तंवर ने भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी का दामन थामा था.

मेघालय विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीटें जीतें थी जबकि एनपीपी यानि नेशनल पीपल्स पार्टी को 20 सीटें मिली थी. यूडीएफ के पास 6 और निर्दलीय के पास 3 सीटें और बीजेपी 2 सीटें हासिल करने में सफल रही थी. बाद में एनपीपी ने सरकार का गठन किया जिसे बीजेपी ने समर्थन दिया और सरकार में शामिल हुई.

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