HomeAdivasi Dailyकेरल: चार सालों में 13 हज़ार आदिवासी हुए साक्षर

केरल: चार सालों में 13 हज़ार आदिवासी हुए साक्षर

केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (Kerala State Literacy Mission Authority - KSLMA) ने आदिवासी कॉलोनियों में विशेष ड्राइव चलाया था. वायनाड और पालक्काड ज़िले के अट्टपाड़ी में इस ड्राइव के तहत 12,968 आदिवासियों को साक्षर बनाया गया. ग़ौरतलब है कि पिछले 30 सालों में सबसे ज़्यादा आदिवासियों की साक्षरता दर 2016-2020 के बीच ही बड़ी है.

केरल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. पिछले चार सालों में राज्य में कुल 1,08,057 अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाया गया है. इसमें ख़ास बात यह है कि इनमें से ज़्यादातर लोग पिछड़े वर्ग से हैं, और आदिवासी हैं.

इसके लिए केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (Kerala State Literacy Mission Authority – KSLMA) ने आदिवासी कॉलोनियों में विशेष ड्राइव चलाया था. वायनाड और पालक्काड ज़िले के अट्टपाड़ी में इस ड्राइव के तहत 12,968 आदिवासियों को साक्षर बनाया गया.

ग़ौरतलब है कि पिछले 30 सालों में सबसे ज़्यादा आदिवासियों की साक्षरता दर 2016-2020 के बीच ही बड़ी है.

KSLMA के अधिकारियों का कहना है कि 1990 के दशक में केरल का ध्यान कुल साक्षरता दर बढ़ाने पर था, लेकिन इसके बाद प्राथमिक शिक्षा पर ज़्यादा ध्यान दिया जाने लगा. क़रीब दो दशकों बाद अब पिछले चार सालों में फिर से टोटल साक्षरता अभियान चलाया गया है.

केरल में क़रीब पांच लाख आदिवासी हैं, जिनमें से ज़्यादातर वायनाड में बसे हैं. राज्य में पांच पीवीटीजी यानि आदिम जनजातियां हैं, जिनकी साक्षरता दर काफ़ी कम है.

हालांकि 2011 की जनगणना के हिसाब से केरल में आदिवासी समुदायों की साक्षरता दर (75.8 प्रतिशत) बाक़ी कई राज्यों के मुक़ाबले काफ़ी बेहतर है. लेकिन राज्य की बाक़ी आबादी और आदिवासियों की साक्षरता दर में 18 प्रतिशत से ज़्यादा का फ़र्क है.

आदिवासी छात्रों के बीच स्कूल ड्रॉपआउट रेट एक बड़ी समस्या है. केरल में भले ही बाक़ी राज्यों के मुक़ाबले स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन यहां भी दसवीं कक्षा तक आते आते 29.1 प्रतिशत आदिवासी छात्र स्कूल छोड़ देते हैं.

2014 में किए गए एक शोध के अनुसार केरल में स्कूल ड्रॉपआउट पूरे देश में सबसे कम 0.53 प्रतिशत है. लेकिन वायनाड, जो मुख्यत: एक आदिवासी ज़िला है, में ड्रॉपआउट दर सबसे ज़्यादा है.

इसमें भी आदिवासी छात्रों के बीच स्कूल छोड़ने की दर 2007-08 में 61.11 प्रतिशत थी, जो 2011-12 तक बढ़कर 77.23 प्रतिशत हो गई.

आदिवासियों के अलावा, बड़ी संख्या में मछुआरे और रोज़गार की तलाश में दूसरे राज्यों से केरल आए प्रवासी मज़दूर भी साक्षर होने की लिस्ट में शामिल हुए, या फिर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की.

KSLMA के कार्यक्रमों के तहत कुल 1,35,608 लोगों ने अलग-अलग कक्षाएं पास कीं. 2016-2020 के बीच 24,148 छात्रों ने चौथी, 21, 950 ने सातवीं 64,663 ने दसवीं और 24,847 ने बारहवीं की पढ़ाई पूरी की है.

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