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आदिवासी हॉस्टल में मुर्ग़ा दावत ना मिलने पर सीनियर छात्रों ने जूनियर छात्रों को सज़ा दी

सीनियर छात्रों ने उनकी पिटाई की और साथ साथ कहा कि उन्हें सीनियर लोगों को भोज ना कराने की सज़ा दी जा रही है. हॉस्टल में आए एक और नए लड़के ने बताया कि सीनियर कह रहे थे कि जूनियर लड़कों ने हॉस्टल की परंपरा को तोड़ा है. दुमका के हॉस्टल में जिस तरह की घटना हुई है यह शर्मनाक है. क्योंकि यह देखा गया है कि रैगिंग के डर से कई बार छात्र कॉलेज और पढ़ाई छोड़ कर भाग जाते हैं. कई मामलों में तो छात्रों ने आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम भी उठाए हैं. हॉस्टल के सीनियर छात्रों को मालूम होता है कि कितनी मुश्किल से आदिवासी समुदाय के लोग उच्च शिक्षा तक पहुँचते हैं. उसमें से भी आदिवासी छात्रों का ड्रॉप आउट रेट बहुत ज़्यादा होता है. 

झारखंड के दुमका ज़िला के एक आदिवासी छात्र हॉस्टल के 27 लड़कों के ख़िलाफ़ पुलिस ने मामला दर्ज किया है. इन छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने हॉस्टल के नए छात्रों की रैगिंग के नाम पर अभद्रता की है. 

पुलिस के अनुसार हॉस्टल के सीनियर लड़कों ने नए लड़कों को चार चार के ग्रुप में बुलाया और उनके कपड़े उतरवा कर बेअदबी की. पुलिस की एफआईआर में बताया गया है कि सीनियर लोग यह चाहते थे कि नए लड़के उनके लिए मुर्ग़ा और चावल की दावत का आयोजन करें.

लेकिन नए लड़कों ने उनके इस आदेश की अनदेखी कर दी थी. इस वजह से सीनियर लड़के हॉस्टल में आए नए लड़कों से नाराज़ हो गए थे. दुमका के एसपी अम्बर लकड़ा ने इस बारे में मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह एक गंभीर मामला है. 

यह हॉस्टल आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा चलाया जाता है. जिस हॉस्टल में यह घटना घटी है इसे हॉस्टल नंबर 5 के नाम से जाना जाता है. 

इस मामले में एसपी ने बताया कि यह घटना 22 जून की रात को हुई है. इस मामले में शनिवार यानि 25 जून को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई. शिकायत में हॉस्टल के नए लड़कों में से एक ने बताया कि रात को एक बजे अचानक सीनियर ने उनके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया. इसके बाद उन्होंने इस नए छात्र को ज़बरदस्ती कमरे से बाहर निकाला. 

इस लड़के ने अपनी शिकायत में कहा है कि सीनियर लड़के उसे अपने कमरे में ले गए और फिर लाइट बंद करके उसकी खूब पिटाई की गई. 

एक नए छात्र ने जब उनकी पिटाई का कारण पूछा तो उन्हें बताया गया कि नए लड़कों ने ‘डाबू जोहार’ यानि सीनियर लोगों का अभिवादन नहीं किया था, इसलिए उनकी पिटाई हुई है. 

एक और छात्र ने मीडिया से बात करते हुए उस रात की घटना का ब्यौरा दिया. उसने बताया कि रात को उन्हें कमरा नंबर 101 में ले जाया गया और क़मीज़ उतारने के लिए कहा गया. 

उसके बाद सीनियर छात्रों ने उनकी पिटाई की और साथ साथ कहा कि उन्हें सीनियर लोगों को भोज ना कराने की सज़ा दी जा रही है. हॉस्टल में आए एक और नए लड़के ने बताया कि सीनियर कह रहे थे कि जूनियर लड़कों ने हॉस्टल की परंपरा को तोड़ा है.

इसलिए उन्हें सबक़ सिखाना ज़रूरी है. यह बेहद अफ़सोस की बात है कि एक हॉस्टल में जहां पर ख़ासतौर पर आदिवासी समुदायों के ही छात्र रहते हैं वहाँ पर ऐसी घटना होती है.

हॉस्टल के सीनियर छात्रों को मालूम होता है कि कितनी मुश्किल से आदिवासी समुदाय के लोग उच्च शिक्षा तक पहुँचते हैं. उसमें से भी आदिवासी छात्रों का ड्रॉप आउट रेट बहुत ज़्यादा होता है. 

दुमका के हॉस्टल में जिस तरह की घटना हुई है यह शर्मनाक है. क्योंकि यह देखा गया है कि रैगिंग के डर से कई बार छात्र कॉलेज और पढ़ाई छोड़ कर भाग जाते हैं. कई मामलों में तो छात्रों ने आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कदम भी उठाए हैं. 

यह भी देखा गया है कि जब आदिवासी छात्र छात्राएँ उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाते हैं तो उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि आदिवासी छात्रों ने ही परंपरा के नाम पर ऐसा किया जो शर्मनाक है. 

आदिवासी समुदायों में मेहमान को इतना सम्मान दिया जाता है जो बेमिसाल है. उस परंपरा के अनुसार तो सीनियर छात्रों को नए छात्रों के लिए दावत दी जानी चाहिए थी.

इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज किया है पर अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है. 

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