नीलगिरी ज़िला प्रशासन ने ज़िले की आदिवासी आबादी को कोविड-19 का वैक्सीन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है.
अधिकारियों के अनुसार नीलगिरी में टोडा, कोटा, पनिया, काट्टुनायकन, कुरुम्बा और इरुला जनजाति के कुल 27,032 व्यक्ति हैं. इनमें से 8,779 45 साल से ज़्यादा उम्र के हैं, जबकि 12,656 व्यक्ति 14-44 आयु वर्ग के हैं.
नीलगिरी ज़िले की मॉनिटरिंग अधिकारी सुप्रिया साहू ने मीडिया को बताया कि आने वाले हफ्तों में आदिवासी समुदाय के सभी सदस्यों का टीकाकरण करने की योजना तैयार की गई है.
आदिवासी समुदायों के बीच वैक्सीन को लेकर कई चिंताएं हैं. अधिकारियों की योजना के तहत इन चिंताओं को संबोधित करने का प्लान है.
दरअसल, कुछ दिन पहले जब अधिकारी टीका लगाने के लिए इन आदिवासी गांवों में गए थे, तब मुदुमलई टाइगर रिज़र्व (एमटीआर) के अंदर रहने वाले कई आदिवासी आसपास के जंगलों में भाग गए थे.
इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों ने हाल ही में इन आदिवासियों को वैक्सीन लगवाने के लिए मनाने के लिए इनके गांवों का दौरा भी किया.
इसके अलावा अब कलेक्टर ने कई ऐसे ग़ैर सरकारी संगठनों की मदद मांगी है, जो लंबे समय से इन आदिवासियों के बीच काम कर रहे हैं.
अब इन एनजीओ के लोग, स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर इन आदिवासियों को वैक्सीन लगवाने के लिए राज़ी करने में लगे हैं.
आदिवासियों के संकोच को दूर करने के लिए उन्हें स्थानीय प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) या अस्पताल में वैक्सीन लगाने के बजाय, यह फ़ैसला लिया गया है कि उन्हें अपने गांवों में ही टीके लगेंगे.
गुडलुर और पंडालुर में मोबाइल के ज़रिये ऐसी कई अफ़वाहें फैली हैं कि वैक्सीन से दूसरी बीमारियां होने का ख़तरा है. इसकी वजह से वैक्सीन लेने में झिझक बढ़ गई है.
इस झिझक को दूर करने के लिए ऐसे लोगों के वीडियो बनाए गए हैं जिन्होंने वैक्सीन लगवाया है और वो अपना अनुभव साझा कर रहे हैं.