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बोंडा घाटी पर कोविड-19 का हमला, एक और आदिम जनजाति ख़तरे में घिरी

हालाँकि अब कुछ बोंडा गाँवों में बाहरी लोग जा सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इनके ज़्यादातर गाँवों में बाहरी लोगों पर यह आदिवासी समूह भरोसा नहीं करता है. बिना इनकी अनुमति या सहमति के इनके इलाक़े में प्रवेश करने वाले पर ये आदिवासी कई बार हमला भी कर देते हैं. लेकिन सैंकड़ों सालों से ख़ुद को दूर रखने वाले इस आदिवासी समुदाय तक भी कोरोना पहुँच गया है.

मल्कानगिरी के बोंडा आदिवासी महिलाओं की ख़ास वेशभूषा लंबे समय से दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़ खिंचती रही है. इसके अलावा यह आदिवासी समूह अपने क्षेत्र में सहज किसी को प्रवेश नहीं करने देता है.

हालाँकि अब कुछ बोंडा गाँवों में बाहरी लोग जा सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इनके ज़्यादातर गाँवों में बाहरी लोगों पर यह आदिवासी समूह भरोसा नहीं करता है.

बिना इनकी अनुमति या सहमति के इनके इलाक़े में प्रवेश करने वाले पर ये आदिवासी कई बार हमला भी कर देते हैं. लेकिन सैंकड़ों सालों से ख़ुद को दूर रखने वाले इस आदिवासी समुदाय तक भी कोरोना पहुँच गया है.

ओडिशा में सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक राज्य में आदिम जनजाति (PVTG) के 21 लोगों को कोरोनावायरस (Covid-19) ने अपनी चपेट में ले लिया है.

अब ख़बर मिल रही है कि बोंडा आदिवासी समुदाय एक आदिम जनजाति समुदाय (Particularly Vulnerable Tribal Group) है. बोंडा आदिवासी मलकानगिरी की उंची पहाड़ियों पर रहते हैं. 

बोंडा आदिवासी ऊँची पहाड़ी पर रहते हैं

प्रशासन की तरफ़ से जारी सूचना के अनुसार तीन दिन पहले मल्कानगिरी ज़िले के मुदुलीपाड़ा गाँव में बोंडा आदिवासियों का RTPCR टेस्ट किया गया था. इस गाँव में हुए टेस्ट में दो बोंडा आदिवासियों का कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव पाया गया था.

इसके बाद प्रशासन ने इन दो आदिवासियों को उनके परिवार से अलग स्थान पर रखा. अभी तक की जानकारी के अनुसार बोंडा घाटी कहे जाने वाले पहाड़ी इलाक़े और ओड़िशा के दूसरे क्षेत्रों के आदिम जनजाति समुदायों में कुल 21 कोरोना पॉज़िटिव केस मिले हैं.  

ओडिशा प्रशासन का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर को रोक पाना बेहद मुश्किल काम साबित हो रहा है. इस सिलसिले में प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं.

मसलन कोरोना वायरस की दूसरी लहर से आदिवासी समुदाय को बचाने के लिए साप्ताहिक हाट यानि स्थानीय बाज़ार पर फ़िलहाल पाबंदी लगा दी गई है.

क्योंकि आदिवासी इलाक़ों में लगने वाले हाटों में आस-पास के कई गाँवों के आदिवासी पहुँचते हैं. इसके अलावा इन हाटों में बाहर के दुकानदार और व्यापारी भी पहुँचते हैं. इसलिए ये हाट आदिवासी इलाक़ों में कोरोना फैलाने का कारण बन सकते हैं.

हालाँकि इन हाटों पर पाबंदी से आदिवासियों की जीविका बुरी तरह से प्रभावित होती है. आदिवासी इन हाटों में जंगल और अपने खेतों में उगाई गई फ़सल बेचने आते हैं. लेकिन प्रशासन का कहना है कि आदिवासियों को इस ख़तरनाक बीमारी से बचाने के लिए यह पाबंदी ज़रूरी कदम था.

ओड़िशा में देश भर में सबसे अधिक 62 आदिवासी समुदाय रहते हैं. इन आदिवासी समुदायों में से कम से कम 13 आदिवासी समुदायों को आदिम जनजाति (PVTGs) की श्रेणी में रखा जाता है.

किसी आदिवासी समुदाय को इस श्रेणी में रखने के कई मापदंड होते हैं. मसलन जो आदिवासी समूह अभी भी मुख्यधारा कहे जाने वाले समूहों से अलग थलग रहते हैं. ये आदिवासी समूह अभी भी अपनी जीविका के लिए जंगल पर ही निर्भर रहते हैं. 

डोंगरिया कोंध में भी कई लोगों में कोरोना के मामले मिले हैं

इस श्रेणी में उन आदिवासी समुदायों को भी रखा जाता है जो अभी भी खेती करना नहीं जानते हैं या फिर पुरातन विधि और औज़ारों से ही खेती करते हैं.

इस श्रेणी के आदिवासी समुदायों में से कई की जनसंख्या भी लगातार कम हो रही है या फिर उनकी जनसंख्या में एक ठहराव आ गया है.

आदिम जनजातियों के लिए कोरोना वायरस मुख्यधारा के लोगों की तुलना में ज़्यादा ख़तरनाक भी हो सकता है. उसकी कई वजह मानी जाती हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह ये है कि आदिम जनजातियाँ दूर दराज़ और जंगल के बीच रहती हैं.

इसलिए इनके शरीर में वायरस या फिर बैक्टिरिया के प्रति वैसी प्रतिरोधी क्षमता (इम्युनिटी) नहीं होती, जैसी मुख्यधारा के लोगों में होती है. 

इसके अलावा आदिम जनजातियाँ दुर्गम इलाक़ों में रहती हैं. इन इलाक़ों में यातायात आसान नहीं होता है. इसलिए बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुँचाना आसान नहीं होता है. 

बोंडा के अलावा डोंगरिया कोंध आदिम जनजाति समुदाय में भी कोरोना पॉज़िटिव केस मिले हैं. यह निश्चित ही बड़ी चिंता का विषय है. प्रशासन यहाँ पर फ़िलहाल लॉक डाउन जैसी ही रणनीति अपना रहा है.

लेकिन आदिवासी इलाक़ों के लिए प्रशासन को विशेष प्रयास करना होगा. इसके लिए प्रशासन को आदिवासी समुदायों में और ख़ासतौर से आदिम जनजातियों में जागरूकता अभियान चलाना होगा.

इन आदिवासियों में वैक्सीन को प्राथमिकता पर रखना होगा. 

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