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तेलुगु राज्यों में फिर उठी बोया / वाल्मीकि समुदाय को एसटी दर्जा देने की मांग, तेज हुई राजनीति  

बोया या वाल्मीकि समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग अब जोर पकड़ती जा रही है.

इसके लिए तेलंगाना राज्य में नवंबर के महीने में बोया समुदाय ने भूख हड़ताल आंदोलन का आयोजन किया. जोगुलम्बा गडवाल जिले में रिले भूख हड़ताल शुरू करने के लिए 10 नवंबर को केवल लगभग 150 लोग पहुंचे थे. लेकिन चार दिनों के भीतर, विरोध पांच और जिलों – महबूबनगर, वानापर्थी, नागरकुर्नूल, नारायणपेटा और हैदराबाद में फैल गया. अब तक एक हजार से ज्यादा लोग भूख हड़ताल में शामिल हो चुके हैं.

बोया ज्वाइंट एक्शन कमेटी (JAC) इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है.

वहीं हाल ही में, आंध्र प्रदेश की YSRCP सरकार ने अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने के उद्देश्य से बेंटो उड़िया, वाल्मीकि और बोया समुदायों के मुद्दों का अध्ययन करने के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आई. सैमुअल आनंद कुमार को शामिल करते हुए एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया है.

मीडिया से बात करते हुए, पूर्व मंत्री और वाईएसआरसीपी एमएलसी डोक्का माणिक्य वरप्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने समिति का गठन किया क्योंकि इन समुदायों से एसटी के तहत शामिल होने की मांग बढ़ती जा रही थी.

वहीं पूर्व मंत्री और बोया समुदाय से आने वाले टीडीपी नेता कलावा श्रीनिवासुलु ने कहा, “वाईएसआरसीपी की ओर से राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है, यही वजह है कि इस आयोग का गठन किया गया है. अन्यथा, मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को सूचित किया होता और बोया समुदाय को एसटी में विलय करने के लिए उस पर दबाव बनाया होता.

श्रीनिवासुलु ने कहा कि पिछली टीडीपी सरकार ने प्रो. पी. सत्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने उस समय एक रिपोर्ट भी सौंपी थी. जिसके आधार पर आंध्र प्रदेश सरकार के तत्कालीन एससी/एसटी आयोग ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और इसे कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद 2018 में भारत सरकार को भेजा. लेकिन तब भारत सरकार के जनगणना आयोग ने यह कहते इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था कि आंध्र के बोया कर्नाटक के वाल्मीकियों के समान नहीं है, जिन्हें एसटी का दर्जा प्राप्त था.

बोया समुदाय की एसटी दर्जे में शामिल होने की मांग 60 साल पुरानी है, लेकिन इस साल के आंदोलन ने न केवल तेलंगाना में, जहां उनकी आबादी लगभग 5 लाख है, बल्कि आंध्र प्रदेश में भी, जहां बोया लोग 40 लाख हैं, अधिक गंभीर रूप धारण कर लिया है. वर्तमान में, एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA) के अंतर्गत आने वाले तेलुगु राज्यों के कुछ जिलों में ही समुदाय को ST का दर्जा प्राप्त है, और शेष क्षेत्रों में उन्हें पिछड़ा वर्ग (A) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

समुदाय को कर्नाटक और तमिलनाडु में अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है.

कर्नाटक और महाराष्ट्र में इन्हे बेदास/बेदार/बेदागर भी कहा जाता है.

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