HomeAdivasi Dailyमिड डे मील बच्चों का अधिकार है, स्कूल में रसोइया तो हो

मिड डे मील बच्चों का अधिकार है, स्कूल में रसोइया तो हो

कलेक्ट्रेट में आयोजित बैठक में आदिवासी अधिकारों से संबंधित मुद्दों और उनके जीवन स्तर को बेहतर करने के तरीकों पर चर्चा भी की गई थी.

तमिल नाडु के तिरुपूर जिले की धाली ग्राम पंचायत के निवासियों ने प्रशासन से कुरुमलई और तिरुमूर्ति हिल्स की आदिवासी बस्तियों के स्कूलों में दोपहर के भोजन के लिए जरूरी कर्मचारियों को जल्द से जल्द नियुक्त करने का अनुरोध किया है.

इसके लिए उन्होंने जिला कलेक्टर को एक याचिका सौंपी है. उनका कहना है कि कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में छात्रों को दोपहर का भोजन (mid-day meal) नहीं मिल रहा.

जिला स्तरीय समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था. कलेक्ट्रेट में आयोजित इस बैठक में आदिवासी अधिकारों से संबंधित मुद्दों और उनके जीवन स्तर को बेहतर करने के तरीकों पर चर्चा भी की गई. बैठक की अध्यक्षता जिला कलेक्टर डॉ. एस विनीत ने की.

धाली ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष जी सेल्वम ने मिड डे मील के बारे में कहा कि कुरुमलई और तिरुमूर्ति हिल्स में पंचायत संघ के प्राइमरी स्कूलों के छात्रों को दोपहर का भोजन मिलने में मुश्किल हो रही है.

मिड डे मील के लिए जरूरी कर्मचारियों और खाना पकाने के कर्मचारियों को कई सालों से स्कूलों में नियुक्त नहीं किया गया है. इस वजह से कई छात्र खाली पेट क्लास अटेंड कर रहे हैं.

इन स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र पुलयार आदिवासी समूह के हैं और इनके परिवार भोजन पर पैसे खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं.

सेलवन, जो कुरुमलई वन अधिकार समिति के अध्यक्ष भी हैं, ने बैठक में आदिवासी बस्तियों तक खराब सड़क संपर्क की बात भी उठाई.

“हम अक्सर मरीजों को एक डोली में डालकर ले जाते हैं, जो सही इलाज मिलने में देरी करता है. समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से पिछले दो महीनों में पांच लोगों की मौत हो चुकी है,” सेलवन ने कहा.

याचिका में वन विभाग से बस्तियों के लिए सड़क संपर्क बनाने के लिए एक हेक्टेयर भूमि निर्धारित करने की मांग की गई है. जिला कलेक्टर ने अधिकारियों को बस्तियों में लोगों की समस्याओं का जल्द समाधान करने के आदेश दिए हैं.

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