HomeAdivasi Dailyकेरल हाई कोर्ट: आदिवासी फ़ंड नहीं किए जा सकते डाइवर्ट

केरल हाई कोर्ट: आदिवासी फ़ंड नहीं किए जा सकते डाइवर्ट

आदिवासी फ़ंड का इस्तेमाल सिर्फ़ आदिवासी लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए ही किया जाना चाहिए.

केरल हाई कोर्ट के डिविज़न बेंच ने सरकार से कहा है कि आदिवासियों के लिए आवंटित फ़ंड को किसी भी वजह के लिए डाइवर्ट नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि इस फ़ंड का इस्तेमाल सिर्फ़ आदिवासी लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए ही किया जाना चाहिए.

केरल हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस एस मणिकुमार के नेतृत्व वाली एक बेंच ने मलप्पुरम, त्रिशूर, एर्णाकुलम और वायनाड के कुछ आदिवासियों की एक याचिका का निपटारा करते हुए यह बात कही.

इस याचिका में इन आदिवासियों ने कहा था कि सरकार उन्हें ज़रूरी सुविधाएं देने में विफल रही है.

कोर्ट ने राज्य सरकार को आदिवासी कॉलोनियों में प्राइमरी हेल्थ सेंटर (PHC) और अस्पतालों को बेहतर करने के लिए क़दम उठाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि जहां PHC और अस्पताल दूर हैं, वहां मोबाइल मेडिकल यूनिट स्थापित किए जाने चाहिएं.

हाई कोर्ट ने आदिवासी बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप देने के लिए भी कहा है

राज्य सरकार को आदिवासी इलाक़ों की सड़कों के रखरखाव का भी आदेश है. कोर्ट ने कहा है कि यह सुनिश्चित करेगा कि आदिवासी ज़्यादा मुश्किलों का सामना न करें.

कोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि किसी योजना के तहत अगर आदिवासियों को पैसा दिया जाना है, तो उसका जल्द वितरण होना चाहिए. पहले की बकाया राशि का भी 30 दिनों के अंदर भुगतान करने का आदेश है.

आदिवासी बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न हो, इसके लिए सरकार से उन्हें मोबाइल या लैपटॉप देने को भी कहा गया है.

2011 की जनगणना के अनुसार केरल में आदिवासी आबादी क़रीब पांच लाख है. यह राज्य की कुल आबादी का डेढ़ प्रतिशत है. इन आदिवासियों में से ज़्यादातर वायनाड ज़िले में रहते हैं. इसके अलावा इडुक्की, पालक्काड, कासरगोड और कण्णूर ज़िले में आदिवासी आबादी है.

केरल में कुल 21 आदिवासी समुदाय हैं, जिनमें से पांच पीवीटीजी (PVTG) यानि आदिम जनजातियां हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments