केंद्र सरकार ने “श्रम शक्ति – राष्ट्रीय प्रवासी सहायता पोर्टल” लॉन्च किया है, जिसके तहत आदिवासी प्रवासियों का एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा. इस पोर्टल में डेटा जोड़ने का काम गोवा से शुरु होगा. अपने नए माइग्रेशन सेल के माध्यम से गोवा सरकार सड़क और रेल से आने वाले प्रवासियों का डेटा इकट्ठा करेगी. जो प्रवासी राज्य के आतिथ्य, निर्माण और मत्स्य पालन क्षेत्रों में काम करने के लिए आते हैं, उनके पंजीकरण के लिए रूपरेखा भी इसी माइग्रेशन सेल द्वारा तैयार की जाएगी.
गोवा के अलावा, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात, तेलंगाना और सिक्किम राज्य प्राधिकरणों के सहयोग से जनजातीय अनुसंधान संस्थान प्रवासियों की जानकारी इकट्ठा कर केंद्रीय जनजातीय डेटाबेस में योगदान करेंगे. राज्य स्तर पर एकत्र किए गए डेटा को जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा स्थापित केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा. इसके बाद यह डेटा केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों को विश्लेषण के लिए उपलब्ध होगा.
कोविड महामारी के दौरान आदिवासी प्रवासियों को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, उसी के चलते जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने पहली बार राज्य स्तर पर इनकी जानकारी इकट्ठा करने का फ़ैसला किया है. इस जानकारी के ज़रिये न सिर्फ़ प्रवासियों की संख्या जानी जाएगी, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जा सकेगा. डेटा संग्रह प्रक्रिया गांव स्तर तक की जाएगी और मंत्रायल इस अभ्यास में शामिल होने के लिए सभी राज्यों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा है.
गोवा में आदिवासी बहुल राज्यों के प्रवासी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ हर साल ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी और कर्नाटक से 4 से 5 लाख प्रवासी गोवा आते हैं. राज्य के श्रम सचिव गोवा प्रवासी श्रमिक सेल के अध्यक्ष होंगे, और यह सेल जनसांख्यिकीय विवरण, प्रवासियों के कौशल, कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच और सभी पंजीकृत लोगों के माइग्रेशन पैटर्न को इकट्ठा करने के लिए ज़िम्मेदार होगा.
प्रवासियों और उनके परिवारों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए एक प्रवासी सुविधा केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है. यह सेल कानूनी सहायता, स्वास्थ्य तक पहुंच, बीमा और वित्तीय समावेशन से लेकर प्रवासियों की दूसरी कई ज़रूरतों को संबोधित करेगा.