मध्य प्रदेश में कमलनाथ की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है. कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस के अंदर उथल-पुथल मची हुई है. पूर्व सीएम के करीबी एक-एक कर उनका साथ छोड़ रहे हैं.
अब उनके करीबी और छिंदवाड़ा के पहले आदिवासी मेयर विक्रम अहाके कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं. अहाके लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाले कमल नाथ के तीसरे प्रमुख करीबी हैं.
अहाके ने भोपाल में मुख्यमंत्री आवास पर जाकर बीजेपी की सदस्यता ली.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा को बहुत नुकसान पहुंचाया है. उनके बेटे और कांग्रेस नेता नकुलनाथ ने आदिवासी समुदाय पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इससे आहत होकर विक्रम अहाके ने निर्णय लिया कि वे कांग्रेस में नहीं रहना चाहते, जहां आदिवासियों का सम्मान नहीं होता. मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि हम छिंदवाड़ा में विकास के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे.
कमलनाथ के सबसे विश्वासपात्र माने जाने वाले युवा आदिवासी नेता विक्रम का पार्टी छोड़कर जाना कमलनाथ और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है.
विक्रम अहाके का नाम छिंदवाड़ा पार्टी इकाई के एक वर्ग के विरोध के बावजूद 2022 में कमलनाथ द्वारा मेयर पद के लिए सुझाया गया था.
अहाके का बीजेपी में शामिल होने का फैसला आदिवासी विधायक और पूर्ववर्ती हर्रई शाही परिवार के सदस्य कमलेश प्रताप शाह के कमलनाथ के बेटे और मौजूदा सांसद नकुल नाथ के साथ मतभेदों पर पार्टी छोड़ने के बाद आया है.
भाजपा छिंदवाड़ा में कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में कर रही है और दावा कर रही है कि वह जिले में 2,000 से अधिक नेताओं को तोड़ने का प्रयास कर रही है ताकि वह एकमात्र सीट जीत सके जो पिछले चुनाव में नहीं मिली थी.
दरअसल, छिंदवाड़ा सीट से कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इस बीच कांग्रेस के कई नेता-कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.
लोकसभा चुनाव में देखा जा रहा है कि बीजेपी छिंदवाड़ा पर खास फोकस कर रही है. क्योंकि बीते चुनाव में बीजेपी को यहां पर हार का सामना करना पड़ा था और नकुल नाथ सांसद चुने गए थे.ट
कौन है विक्रम अहाके
छिंदवाड़ा के राजाखोह दाना गांव के रहने वाले विक्रम अहाके की जड़ें इस क्षेत्र के आदिवासी ताने-बाने में गहराई से जुड़ी हुई हैं. उनकी मां निर्मला एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करती हैं, जबकि उनके 55 वर्षीय पिता नरेश, एक किसान हैं. वो अपनी मामूली दो एकड़ खेत में मेहनत करते हैं. अपने माता-पिता के इकलौते बेटे अहाके ने खेतों में अपने पिता के साथ काम भी किया है.
उनकी राजनीतिक यात्रा का पता 2010 में उनके कॉलेज के दिनों से लगाया जा सकता है जब वह कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा, नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) में शामिल हुए थे. छात्र राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी ने उन्हें कमल नाथ का विश्वास दिलाया जब पूर्व केंद्रीय मंत्री लोकसभा में छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
बीजेपी की नीतियों का विरोध करने वाले अहाके ने जब फरवरी में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की थी तो उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने कांग्रेस पार्षदों पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाने के लिए कई विकास परियोजनाओं को रोक दिया है और कहा कि उनसे भी भगवा पार्टी में शामिल होने के लिए “कई नेताओं” ने संपर्क किया था. लेकिन मैंने अब तक विरोध किया है.
उस वक्त अहाके ने कहा था कि नकुलनाथ का दृष्टिकोण एक शिक्षा केंद्र स्थापित करना था. लेकिन भाजपा ने उस पर ब्रेक लगा दिया है.
अहाके ने तब कहा था, “राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के उन्नयन के लिए 481 करोड़ रुपये रोक दिए गए थे. मुख्यमंत्री के रूप में कमल नाथ के छोटे से कार्यकाल में मेडिकल कॉलेज का बजट, जिसे 1,400 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था, घटाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया और अब इसे रोक दिया गया है. साथ ही एक कृषि और बागवानी संस्थान, एक मिनी हवाई अड्डे और 100 एकड़ के औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण के प्रस्तावों के साथ. यहां तक कि केंद्र सरकार की योजनाएं भी रुकी हुई हैं. नल जल योजना के लिए लगभग 64 करोड़ रुपये के साथ-साथ 3,000 परिवारों के लिए पीएम आवास योजना लंबित है.”