लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (Citizenship (Amendment) Act, 2019) को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानि सीएए मोदी सरकार के लिए हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है, गृहमंत्री अमित शाह तो बार-बार दावा कर रहे थे कि लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन कानून लागू किया जाएगा और सोमवार को अचानक सीएए को लेकर सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके इसे लागू कर दिया.
इस कानून के तहत पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है.
हालांकि, पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों में CAA लागू नहीं हो पाएगा क्योंकि उन्हें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है.
क़ानून के मुताबिक सीएए उन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में नहीं लागू किया जाएगा जहां देश के अन्य हिस्सों के लोगों को यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) की जरूरत होती है.
इनर लाइन परमिट अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है.
अधिकारियों ने सोमवार को अधिसूचित कानून के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि आदिवासी क्षेत्रों को भी सीएए के दायरे से छूट दी गई थी. यहां संविधान की 6 वीं अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई थीं.
असम, मेघालय और त्रिपुरा में भी ऐसी स्वायत्त परिषदें अस्तित्व में हैं. इनमें असम में कार्बी आंगलोंग, दिला हसाओ और बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल क्षेत्र, मेघालय में गारो हिल्स और त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र शामिल हैं.
क्या है इनर लाइन परमिट
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर के आदिवासी इलाकों में इनर लाइन परमिट लागू है. आईएलपी एक औपनिवेशिक काल का कॉन्सेप्ट है जिसके तहत पहाड़ी आदिवासी इलाकों को मैदानी इलाकों से अलग किया गया था.
संविधान की 6वीं सूची के तहत यहां स्वायत्त परिषद होती है. इन इलाकों में जाने के लिए इस परिषद से अनुमति लेने की जरूरत होती है. असम, मेघालय और त्रिपुरा के कई इलाकों में भी ऐसी स्वायत्त परिषद हैं.
असम में विरोध प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद देशभर से मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. एक तरफ बीजेपी इसे ऐतिहासिक फैसला बता रही है तो वहीं असम के 30 संगठन इसके विरोध में आज CAA की कॉपियां जलाने वाले हैं. हालांकि, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनके लिए सख्त चेतावनी जारी की है.
सीएम सरमा ने CAA का विरोध करने वालों को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन करने से कोई हल नहीं निकलेगा. CAA पर कानून पहले से ही संसद से पारित हो चुका है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि राजनीतिक दल बंद का आह्वान करते हैं तो उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.
असम में विपक्षी दलों ने सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए)-2019 को लागू करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की. राज्यभर में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की है.
वहीं ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने कहा कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी. एएएसयू और 30 गैर-राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी, कामरूप, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में अधिनियम की प्रतियां जलाईं और विरोध रैलियां निकालीं.