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त्रिपुरा : विलेज काउंसिल चुनाव और जनजातीय इलाकों में विकास पर सरकार क्या कर रही है

त्रिपुरा में साल 2018 से बीजेपी और आईपीएफटी (BJP-IPFT) की सरकार चल रही है. राज्य में बीजेपी की सरकार के गठन में आईपीएफटी के साथ गठबंधन एक निर्णायक कदम साबित हुआ.

यह गठबंधन साल 2023 में भी कायम रहा है. लेकिन इस गठबंधन को त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों में वह सफलता नहीं मिली जो 2018 के विधान सभा चुनाव में मिली थी.

इसका मुख्य कारण था जनजातीय इलाकों में एक ने संगठन टिपरा मोथा का जन्म होना. इस संगठन ने पहले बीजेपी और आईपीएफटी को त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद के चुनाव में मात दी थी.

टिपरा मोथा ने अलग टिपरालैंड की मांग पर विधान सभा चुनाव लड़ा था. पहली बार में ही यह पार्टी राज्य में मुख्य विपक्षी दल बन गया है.

अलग टिपरालैंड का मुद्दा बेशक एक भावनात्कम मुद्दा है. लेकिन त्रिपुरा के जनजातीय इलाकों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है. मसलन पीने का पानी ज़्यादातर इलाकों में उपलब्ध नहीं है और लोग नदी-झरने का पानी पीने को मजबूर हैं.

जनजातीय इलाक़ों में विलेज काउंसिल के चुनाव साल 2018 में संपन्न हो जाने चाहिए थे. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक राज्य में चुनाव नहीं कराया जा सका है.

इन सभी सवालों पर हमने त्रिपुरा के आदिवासी मामलों के मंत्री बिकास देबबर्मा (Bikas Debbarma) लंबी बातचीत की है. आप यह पूरी बातचीत उपर के लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं.

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