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आदिवासियों ने देउचा पाचामी कोयला खादान मामले में राज्यपाल से की हस्तक्षेप की मांग

इस परियोजना में प्रभावित होने वाले परिवारों में से अधिकतर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के हैं. पश्चिम बंगाल सरकार के दस्तावेज़ों के अनुसार इस परियोजना के लिए करीब 2267 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया जाएगा. इस क्रम में कम से कम 4314 परिवार प्रभावित होंगे.

पश्चिम बंगाल में देउचा पचामी-दिवानगंज हरिसिंगा में प्रस्तावित कोयला खादान के विरोध में चार दिन की यात्रा कर आदिवासी शुक्रवार यानि 14 अप्रैल 2023 को राजधानी कोलकाता पहुंचे. इन आदिवासियों ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.

राज्यपाल को दिये गए ज्ञापन में इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही आदिवासी अधिकार महासभा ने विस्तार से इस परियोजना के कारणों को गिनवाया है.

इस सिलसिले में आदिवासी संगठन का आरोप है कि सरकार ने किसी भी परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण से जुड़े कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. 

कोयला खादान परियोजना का विरोध करने वाले आदिवासियों का कहना है कि ज़मीन अधिग्रहण कानून 2013 (The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013) में खनन जैसी गतिविधियों के लिए ज़मीन के अधिग्रहण से पहले परियोजना के सामाजिक प्रभावों का अध्य्यन का प्रावधान है. 

इसके अलावा यह प्रवाधान भी है कि इस तरह की किसी परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण से पहले जनसुनवाई होनी चाहिए. 

लेकिन देउचा पचामी ज़मीन अधिग्रहण मामले में इन प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. इस परियोजना का विरोध कर रहे आदिवासियों का कहना है कि ज़मीन अधिग्रहण कानून में यह प्रावधान भी है कि परियोजना के लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव पास कर सहमति लेना भी अनिवार्य है.

लेकिन इस प्रस्तावित कोयला खादान के लिए ज़मीन अधिग्रहण मामले में ज़िला प्रशासन ने इस शर्त को भी नज़रअंदाज़ कर दिया. 

आदिवासी अधिकार महासभा के वरिष्ठ नेताओं में से एक शिवलाल सोरेन ने MBB से बातचीत में कहा कि सरकार देउचा पाचामी कोयला खादान ज़मीन अधिग्रहण मामले में सभी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है.

उन्होंने यह दावा भी किया की सरकार ज़बरदस्ती प्रभावित परिवारों पर पुनर्वास पैकेज थोप रही है. 

इस परियोजना में प्रभावित होने वाले परिवारों में से अधिकतर अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के हैं. पश्चिम बंगाल सरकार के दस्तावेज़ों के अनुसार इस परियोजना के लिए करीब 2267 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया जाएगा. इस क्रम में कम से कम 4314 परिवार प्रभावित होंगे.

इस परियोजना में कुल प्रभावित जनसंख्या 21033 जिसमें से 9034 आदिवासी आबादी है. इसके अलावा 3601 लोग अनुसूचित जाति परिवारों के सदस्य हैं. 

देउचा पाचामी कोयला खादान परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे संगठन आदिवासी अधिकार महासभा का दावा है कि प्रशासन ने ग़ैर कानूनी तरीके से कुछ परिवार से इस परियोजना के लिए सहमति हासिल करने की कोशिश की है.

प्रशासन ने कई परिवारों से एक सरकारी नौकरी के बदले में ज़मीन देने की सहमति हासिल की है. लेकिन इस तरह की किसी सहमति को क़ानूनी तौर पर सही ठहराया जाना असंभव है.

इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि जिन परिवारों ने इस तरह की सहमति दी गई है, उनमें से कुछ परिवार के लड़कों को अस्थाई पुलिस नौकरी दी गई है.

जानकारी के अनुसार अभी तक कुल 460 लोगों को नौकरी दी गई है. जबकि ऐसे परिवार जो सरकारी नौकरी चाहते हैं उनकी संख्या 3000 से ज़्यादा है.

यह दावा भी किया जा रहा है कि इस परियोजना से पर्यवारण को भी भारी नुकसान पहुँचेगा.

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