त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council – TTAADC) के आने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस एक या एक से ज़्यादा क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर सकती है.
कांग्रेस पार्टी की मंशा आदिवासी-आधारित दलों के साथ गठबंधन की है. 28 सदस्यों वाले आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त ज़िला परिषद का चुनाव इस साल मई के पहले सप्ताह में होने की संभावना है.

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने पिछले महीने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर परिषद के चुनाव पूरा करने की समय सीमा तय की थी. कोर्ट ने 17 मई तक चुनाव पूरा करने का निर्देश दिया था.
राज्य के तीन-चौथाई हिस्से पर TTAADC का अधिकार क्षेत्र है. परिषद के चुनाव पिछले साल मई में होने थे, लेकिन महामारी के चलते इसे टालना पड़ा था. फ़िलहाल राज्यपाल के पास TTAADC का अंतरिम प्रभार है.
कांग्रेस पार्टी ने हमेशा क्षेत्रीय आदिवासी पार्टियों के साथ गठबंधन में ही इस परिषद के लिए चुनाव लड़ा है. अब मई में होने वाले चुनाव के लिए पार्टी एक सहयोगी की तलाश में है.
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को काफ़ी नुकसान हुआ, जब पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए थे.

कांग्रेस फ़िलहाल TIPRA (आदिवासी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन) के साथ चुनावी समझौता करने की कोशिश में है. TIPRA ने हाल ही में यह फ़ैसला लिया था कि वो सभी राजनीतिक पार्टियों से TTAADC के चुनाव के लिए गठबंधन का अनुरोध करेगी.
त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष, प्रद्योत किशोर माणिक्य देब बरमन ने दिसंबर 2019 में TIPRA की स्थापना की थी. उस समय उन्होंने इसे एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन बताया था. लेकिन, शुक्रवार को प्रद्योत किशोर माणिक्य देब बरमन ने इसके राजनीतिक संगठन होने की घोषणा कर दी.

अबव TTAADC के चुनावों से पहले TIPRA ने ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग भी तेज़ कर दी है. ग्रेटर टिप्रालैंड त्रिपुरा, असम के काचर और हैलाकांडी, और मिज़ोरम के ममित में रहले वाले त्रिपुरियों के लिए एक अलग राज्य है. त्रिपुरी समुदाय 19 कुलों से बना है, जिनमें से अधिकांश TTAADC क्षेत्र में रहते हैं.
TIPRA के अलावा दूसरे प्रमुख आदिवासी दल जैसे इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (IPFT) और इंडिजिनस नैशनलिस्ट पार्टी ऑफ़ त्रिपुरा (INPT) ने अभी तक अपनी चुनावी रणनीति साफ़ नहीं की है.