झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अदालत ने विश्वासमत के दौरान सदन में उपस्थित रहने और वोट देने की अनुमति दे दी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस और उनके अन्य सहयोगी काफ़ी चौकन्ने हैं कि विश्वास मत हासिल करने में किसी तरह की चूक ना हो.
लेकिन हेमंत सोरेन की ग़िरफ्तारी से झारखंड में राजनीतिक खलबली पैदा हो गई है. देश के आम चुनाव में मुश्किल से 3 महीने बाकी हैं. झारखंड में सत्ताधारी का आरोप है कि बीजेपी ग़ैर बीजेपी सरकारों को टारगेट किया जा रहा है.
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लेकिन इन हालातों में झारखंड का आम आदिवासी क्या सोचता है? क्या हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से झारखंड मुक्ति मोर्चा को राजनीतिक नुकसान होगा? या फिर उनकी गिरफ़्तारी से हेमंत सोरेन की पार्टी को सहानुभूति मिलेगी?
इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए हम हेमंत सोरेन के पुश्तैनी गांव में पहुँचे. देखिए वहां लोगों ने क्या कहा.
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