अपने दम पर कुछ कर दिखाने वाली महिलाओं की सूची में 34 वर्षीय आदिवासी महिला जयंती बुरुदा (Jayanti Buruda) का नाम भी शामिल है.
फॉर्ब्स इंडिया टॉप सेल्फ मेड वुमन लिस्ट (Forbes India’s Top Self-made women list 2024) में 22 अन्य महिलाओं का नाम भी शामिल है.
कोया समुदाय से आने वाली जयंती बुरुदा पेशे से एक पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता है.
जयंती ने कहा, “ इस सम्मान को मिलना, मेरे लिए आश्चर्य की बात है. मैने अपने सपने में भी नहीं सोचा था की मुझे यह सम्मान मिलेगा. मेरा मनोबल अब और भी बढ़ गया है.”
जयंती का एक मामूली आदिवासी लड़की से पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता बनने का सफर आसान नहीं रहा.
उन्होंने कोरापुट में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय से पत्रकारिता एवं जनसंचार में मास्टर की है.
जयंती के करियर के शुरूआती चरणों में परिवार वालों ने उनके पत्रकारिता करने पर असहमति जताई. लेकिन गाँव के लोग उनके काम से खुश थे.
क्योंकि उनके ही समुदाय का कोई व्यक्ति पत्रकार के रूप में आदिवासी समस्याओं और मांगों को लेकर आवाज़ उठा रहा था.
समय के साथ धीरे-धीरे जयंती के परिवार के लोग भी उन्हें प्रोतसाहित करने लगे. जयंती के परिवार में माता-पिता और 11 भाई-बहन है.
उनकी बहनें पेशे से सरकारी अफसर, पुलिस और अध्यापक है.
2019 से जयंती और उनके कुछ साथी मिलकर ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में महिलाओं के पीरियड के दौरान स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैला रहे है. 2024 में उन्होंने सेनेटरी नैपकिन बैंक की स्थापना भी की है.
इसके अलावा नवंबर 2020 में बड़ी दीदी यूनियन के तहत उन्होंने पुस्तकालय की स्थापना की थी.
मई 2023 में जंगल रानी नाम की पहल के तहत उन्होंने युवा लड़कियों को पत्रकारिता में ट्रेनिंग देना शुरू किया. इसमें वे लड़कियों को फील्ड रिपोर्टिंग, सिक्रप्ट राइटिंग और एडटिंग में प्रशिक्षित कर रही है.
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ये सभी लड़िकयां अपनी रिपोर्टिंग के दौरान वन अधिकार और आदिवासियों की समस्या के बारे में बात करती हैं.
अब तक वे तीन बैच में मौजूद कई लड़िकयों को ट्रेनिंग दे चुकी है. इस प्रत्येक बैच में 15 से 30 लड़कियां थी.
इसके अलावा जयंती ने कहा कि बड़ी दीदी यूनियन के वालंटियर प्रोग्राम है. उनके इस प्रोग्राम से अब तक सैकड़ों लड़किया जुड़ चुकी है.
उन्होंने बताया की बोंडा घाटी की भी कुछ महिलाएं नेपिकन की मांग कर रही थी.
जयंती और उसके साथी खुद से सेनेटरी पेड बनाना चाहते है. लेकिन इसके लिए उन्हें पेड बनाने की सामग्री और मशीन की जरूरत है और अभी उनके पास इतने पैसे मौजूद नहीं है.
इसके अलावा वे ज़िले में युवा और बच्चों के लिए और पुस्तकालय भी खोलना चाहते है.